Book Title: Yatindrasuri Abhinandan Granth
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Saudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
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श्री यतीन्द्रसूरि अभिनंदन ग्रंथ
विविध
(६) जन्मरात्रि को श्रृंगारचौकी में तीर्थ के मन्त्री को केसर बेचने के लिये राजकीय निर्णय के अनुसार बैठना पड़ता है।
(७) दोनों पक्षों के व्यक्ति एवं कुल अपनी भावनानुसार भण्डार में रकम देते हैं और वह जमा होती है।
(८) श्वेताम्बर पक्ष की ओर से भागवान के जन्मोत्सव के उपलक्ष में कई व्यक्ति थैलियां वांटते हैं और यह दान आगन्तुक सेवक लोगों को व्यक्तिवार दिया जाता है।
(९) मन्दिर का पूजारी एक सेवक - कुल है जो कई पीढ़ियों से सेवा करता आ रहा है । मैले के दिन की नैवेद्य रूप में आई हुई आय का यह पूजारी और चैनपुरा के भोमिया दोनों अधिकारी हैं । भोमिया तीर्थ का पीढ़ियों से रक्षक रहा है। इन दोनों का तीर्थ से सम्बन्ध निर्णयों में भी स्पष्ट होता रहा है।
(१०) मैलों के दिन राजकीय प्रबन्ध रहता है। मैला मात्र एक रात्रि और दिन का होता है। समय समाप्त होते ही राजकीय नियमानुसार मैला बन्द हो जाता है ।
(११) मन्दिर में प्रतिमा के ऊपर भण्डार का चन्द्रवा और पीछे श्वेताम्बर पक्ष की पछवाई लगती है।
(१२) श्वेताम्बर पक्ष की ओर से जन्म-कल्याणक के समय प्रतिमा को मुकुट और कुण्डल धारण करवाये जाते हैं। कोई भी पक्ष पूजन-दर्शन करें ये अलंकरण उतारे नहीं जाते।
धीरे २ ज्यों श्वेताम्बर पक्ष ने तीर्थ पर जाना कम किया, उधर सत्त्वस्थापना जाग्रत हुई और अन्त में वे झगड़ों के रूप में प्रकाशित हुए। पहिले ऐसा होता था कि मैलों के दिन श्रृंगारचौकी की दोनों भुजाओं पर शाहपुरा श्वे० संघ और माण्डलगढ वे० संघ के प्रतिनिधि बैठा करते थे और उनकी समक्षता में सर्वकार्य एक पद्धतिरूप होता था। जब से इन संघों ने अपने प्रतिनिधि भेजने में आलस्य अपनाया अनियन्त्रण बढ चला और जिसका बल चला उसने अपना कुछ लगाना चाहा । अब तो प्रायः अधिकांश झगड़े कानूननिर्णीत हो चुके है।
मन्दिर पर, संक्षेप में यह कहा जा सकता है, दोनों सम्प्रदायों का अधिकार है और रहेगा। संगठन के युग में उन्हें संमिलितरूप जो कुछ सुधार, उदार, नवीन निर्माण करना हो, करना चाहिए। इसी में जैन शासन की उन्नति, शोभा और चिरंजीवन है।
तीर्थ पर रात्रिवास करने के लिये दोनों पक्षों के सम्मिलित द्रव्य से धर्मशालायें बनी हुई हैं। तीर्थ बहुत ऊँचा है; परन्तु कादीसाणा के श्री लालजी गोखरूने
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