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श्री यतीन्द्रसूरि अभिनंदन ग्रंथ
विविध
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अथ प्रभातप्रभया विभिन्नं निशस्तमित्र ग्रहकान्तिमिश्रम् । प्राण्याश्रितं दुर्गमिवोपरत्नम् असौ गिरिं रेवतकं ददर्श ॥ शृङ्गरभङ्गः सुभगं निजाङ्क-व्यालीनयीनद्रुत (धर्म) लतावलीनाम् । मा धर्मबाधास्त्विति सूर्यरश्मीन् पुनः पुना रोदुमिवोनमद्भिः ॥ शैले शिवाभूर्वि तीर्णकामो वितीर्णकामो भगवान् सदा यम । कृतालये कोमलताभिरामं लताभिरामन्त्रितपदपदाभिः ॥ श्री नेमीनाथं जिनमानिनंसुर् न मानिनं सुस्थरुचिः स शैलम् ।
तमुद्ययौ सङ्कुलताभिरामं लताभिरामन्त्रितषटपदामिः ॥ दूसरे दिन प्रातः काल ही दुर्ग के समान इस रैवतक पर्वत को देखा । जिसके चारों ओर पेड लतायें हैं - जिनपर भंवरे गुंजार कर रहे हैं। ऐसे उस पर्वत पर श्री नेमिनाथ का मन्दिर सुशोभित होरहा था ।
अन्त में हम देखते हैं कि क्या रसप्रवणता, क्या आलंकरिक अप्रस्तुत विधान, क्या प्रकृतिवर्णन की सुन्दरता, क्या शैली की व्यंजनाप्रणाली, तथा शब्दों की प्रसादमयता - सभी कलावादी दृष्टिकोण से मेघविजयजी की बराबरी कोई भी अन्य संस्कृत कवि नहीं कर पाता । संस्कृत महाकाव्यों की परम्परा में कालिदास के बाद दूसरा सशक्त व्यक्तित्व मेघविजयजी का है । कालिदास का काव्य शेक्सपीयर की भांति भावप्रधान है, मेघविजयजी काव्य मिल्टन की भाँति अत्यधिक अलंकृत है । शैली के शब्दों में, जो मिल्टन के लिये प्रयुक्त किये हैं, मेघविजयजी को हम अलंकृतशब्दों का उद्भावक (Creator of ornate members) कह सकते हैं। मेघविजयजी का पदविन्यास और शैली संस्कृत कवियों में अपना सानी नहीं रखती । कालिदास की शैली सरल, स्वाभाविक और कोमल है तो मेघविजयजी की शैली धीर और गम्भीर है। मेघविजयजी की समासान्त पदावलि उनकी शैली को गम्भीरता और उदात्तता प्रदान करती है। छन्दों के प्रयोग में मेघविजयजी भारवी कालिदास से भी अधिक कलावादी हैं।
देवानन्द महाकाव्य एक ऐतिहासिक काव्य है। किसी भी काव्य की ऐतिहासिकता प्रमाणित करने के लिये निम्नलिखित बातों में से कोई एक अवश्य होनी चाहिए।
१. किसी ऐतिहासिक महापुरुष, राजा, मंत्री एवं राजपुत्रों का चरित्र-चित्रण हो २. किसी ऐतिहासिक युद्ध का वर्णन ३. किसी ऐतिहासिक मन्दिर का वर्णन ४. ऐतिहासिक गुरु अथवा आचार्य का वर्णन
यदि हम ऊपर लिखित कसौटी पर देवानन्द महाकाव्य को कसे तो वह खरा उतरेगा। इस काव्य के चरितनायक श्री विजयदेव सूरिजी एक ऐतिहासिक महापुरुष हैं जिन्होंने जहांगीर के दरबार में जाकर धर्म का उपदेश किया। आपको वहांगीर
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