Book Title: Yatindrasuri Abhinandan Granth
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Saudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
View full book text
________________
विषय खर
विश्व शान्ति का अमोघ उपायः अपरिप्रह
-
आश्रित हैं। और वही परिग्रह है, हिंसा है, द्वेष है, अशान्ति है। परिग्रह ही बंधन है पाप का प्रधान कारण है। अपरिग्रही ही परम सुखी है । उसे चिन्ता किसकी ? चाह नहीं तो आह भी नहीं।
___ भारतीय मनीषियों ने इस बाहरी भेदो के भीतर रहे हुए अभेद तक अपनी दृष्टी बढ़ाई । आत्मा सबकी समान है, स्वरूप तः शुद्ध बुद्ध सचित् आनंद रूप है। देहादि के बाहरी भेद कल्पित है अभेद बुद्धि ही अहिंसा है अपरिग्रह है और वही विश्वशान्ति का अमोघ उपाय है ।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org