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श्री यतीन्द्रसूरि अभिनंदन ग्रंथ
विविध
हजार वर्षों में भगवान् महावीर के करोड़ों अनुयायी हुए और आज भी लाखों अनुयायी हैं ।
भारत के महान् उपकारक, सच्चे महान् उपदेशक, सन्मार्ग-दर्शक भगवान् महावीर निज कर्तव्य बजाकर, ७२ वर्ष की आयुष्य पूर्ण कर पावापुरी में ही कार्तिक वाद (गुजराती आसोवदि ) अमावास्या के दिन सब कर्मों से मुक्त हो गए - अजरा - मर हुए- जन्म - जरा - मरणादि दुःखों से मुक्त हो गए, सिद्ध, बुद्ध. निर्वृत बने । इस घटना को २४८३ वर्ष व्यतीत हो गए, २४८४ वां वर्ष चलता है । उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करना प्रत्येक भारतवासीका उचित कर्तव्य है ।
विश्व- मैत्री और विश्य—-शांति के सच्चे विधायक, भारत की विरल विभूति, विश्व - वत्सल, विश्व-बन्धु भगवान् महावीर को सदा बन्दन हो । जय महाबीर !
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