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संशयतिमिरप्रदीप।
को कोई अस्वीकार नहीं कर सकता कि जिनधर्म वीतरागता का अभिवईक है। और जब जिन प्रतिमानों पर इक्षुरसादिकों से अभिषेक किया जायगा फिर उस समय वीतरागता ठोक बनी रहेगी क्या?
उतर-जिनधर्म वीतरागता का अभिवईक है इसे हम भी
खोकार करते हैं परन्तु इस से पञ्चामृताभिषेक का निषे. ध कैसे हो सकेगा? इस बात को खुलासा करना चाहि. ये। पञ्चामृताभिषेक वोतगगता का क्यों प्रतिरोधक है ? मेरी समझ में यह बात नहीं पाती कि पञ्चामृता भिषेक में ऐसा कौन सा कारण है जिससे जिन धर्म का उद्देश हो नष्ट हुघा जोता है । फिर तो यों कहना चाहिये कि यह एक तरह बाल कीड़ा हुई कि पञ्चामृताभिषेक के नहों करने से तो जिन धर्म का उद्देश बना रहता है और करने से नष्ट हो जाता है। तो फिर जलाभिषेक मानने वालों को यह दोष बाधा नहीं देगा क्या ? पञ्चामृताभिषेक के निषेध के लिये दो कारण कहे जा
सकते हैं(१) तीर्थंकरों का समवशरण में अभिषेक नहीं होता इस
लिये प्रतिमापों का भी नहीं होना चाहिये। (१) पञ्चामृताभिषेक मरागता का द्योतक है इसलिये योग्य
नहीं है।
परन्तु ये दोनों हो कारण बाधित हैं । समवशरण में अभिषेक के न होने से प्रतिमानों पर अभिषेक करना प्रसिद्ध
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