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संशयतिमिरप्रदीप।
का स्पर्श करने से सम्पूर्ण पापों से उसो समय रहित हो सकेगा। वसुनन्दि श्रावकाचार में:
चंदणलेवेण गरो जायडू सोहग्गसंपएणो। अर्थात्-जिन भगवान के चरणों पर लेप करने वाला सौभाग्य करके युक्त होता है। श्री ब्रह्म नेमिदत्त नेमिनाथ पुराण में यो लिखते है:
चन्दनागुरुकाश्मीरसम्भवैः सुविलेपनैः । जिनेन्द्रचरणामोनं चर्चयन्ति स्म शर्मदम् ॥ अर्थात्-चन्दन, अगुरु, और केशर से बनाये हुवे विले. पन में जिन भगवान् के चरण कमलों को पूजते हुवे ।
श्री षट्कर्मोपदेशरत्नमाला में:दूतोमं निश्चयं कृत्वा दिनानां सप्तकं सती । श्रीजिनप्रतिबिम्बानां स्नपनं समकारयत् ॥ चन्दनागुरुकर्पूरसुगन्धैश्च विलेपनम् । सा रानौ विदधे प्रोत्या जिनेन्द्राणां त्रिसन्ध्यकम्
अर्थात्-इस प्रकार निश्चय करके जिन भगवान की प्रतिमाभी का सात दिन तक अभिषेक करातो हुई । तथा चन्दन, अगा, और कप्परादि सुगन्धित वस्तुओं में जिन भगवान के ऊपर अनुराग पूर्वक विलेपन करती हुई । इत्यादि बहुत से प्राचीन २ अन्यों में गंध्र लेपन करना लिखा हुआ है। इस
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