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संशयतिमिरप्रदीप ।
अर्णत्-सिन्दुवार, मन्दार पुष्प, कुन्द, कमल और नन्द्यावर्तादि उत्तम २ फली से जगद्गुरु जिन भगवान को पूजन करता हूं। धर्मसार में लिखा है कि :इतपुष्पधनुर्वाणसर्वज्ञानां महात्मनाम् ।
पुष्पैः सुगन्धिभिर्भक्त्या पदयुग्मं समर्चये । अर्थात् - कामदेव के धनुष को नाश करनेवाले जिन भग. धान के चरण कमलों को भक्ति पूर्वक कमल, केतकी, चमेलो, कुन्द, गुलाब, केवड़ा, मन्दार, मल्लि, बकुल आदि नाना तरह के सुगन्धित पुष्पों से पूजता है । पण्डित आशाधर कहते हैं कि :मुजातिजातीकुमुदानकुन्दै
मन्दारमल्लीबकुलादिपुष्पैः । मत्तालिमालामुखरैर्जिनेन्द्र
पादारविन्दं यमर्चयामि ॥ अर्थात् - उन्मत्त भ्रमरों को श्रेणि से शब्दायमान, जाती, कुमुद, कमल, कुन्द, मन्दार, मलिका पुष्प, बकुल केवड़ा, कचनार आदि अनेक प्रकार के फूलों से जिन भगवान् के च. रण कमलों को पूजन करता हूं।
पद्म पुराण में :सामादै जलोद्भूतैः पुष्पैर्यो जिनमर्चति । विमानं पुष्पकं प्राप्य स क्रीडति निरन्तरम् ॥
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