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संशयतिमिरप्रदीप ।
हानि इससे भी होगी। और यदि सावद्य मात्र के भय से रात्रि पूजन करना छोड़ दिया जाय तो दिनमें भी क्यों नहीं? क्या दिन में सावद्यकर्म कर्मा को नहीं आनेदेगा? यह तो केवल भ्रम है जो सावद्यकर्म दिन में होगा वही रात्रि में भी। अन्तर केवल इतनाही है कि रात्रि के समय सावधानता की जरा अधिक आवश्यक्ता है। इसलिये यथा योग्यतानुसार करके भगवानकी आज्ञा माननी चाहिये।
शासनदेवता शासनदेवताओं के सम्बन्ध में भी आचार्यों का कुछ और मत है और लोगों का कुछ और ही विचार है । आचार्यों का कहना है कि शासनदेवता जिनमार्ग के रक्षक है मिथ्यामतियों के द्वारा आई हुई आपत्तियों को दूर करते हैं । जिनधर्म के प्रभाव को प्रकट करने वाले है तथा मानतुंग, समन्तभद्र, कुन्दकुन्द, विद्यानन्दि, अकलंक, वादिराज, सुदर्शन सेठ, महाकवि धनंजय आदि कितने महा पुरुषों की अवप्तरानुसार सहायता की है इससे जाना जाता है कि वे धर्मात्मा पुरुषों की अवसरानुसार सेवा भी करते रहते हैं । अस्तु, सहायता रहे ! परन्तु प्राचीन प्राणाली है इसलिये सादर विनय के योग्य है । इसके विरुद्ध कहने वालों का यह कहना है किभयाशास्नेहलोभाच कुदेवागमलिङ्गिनाम् । प्रणामं विनयं चैव न कुयुः शुद्धदृष्टयः ।।
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