Book Title: Sanshay Timir Pradip
Author(s): Udaylal Kasliwal
Publisher: Swantroday Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 167
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संशयतिमिरप्रदीप । हानि इससे भी होगी। और यदि सावद्य मात्र के भय से रात्रि पूजन करना छोड़ दिया जाय तो दिनमें भी क्यों नहीं? क्या दिन में सावद्यकर्म कर्मा को नहीं आनेदेगा? यह तो केवल भ्रम है जो सावद्यकर्म दिन में होगा वही रात्रि में भी। अन्तर केवल इतनाही है कि रात्रि के समय सावधानता की जरा अधिक आवश्यक्ता है। इसलिये यथा योग्यतानुसार करके भगवानकी आज्ञा माननी चाहिये। शासनदेवता शासनदेवताओं के सम्बन्ध में भी आचार्यों का कुछ और मत है और लोगों का कुछ और ही विचार है । आचार्यों का कहना है कि शासनदेवता जिनमार्ग के रक्षक है मिथ्यामतियों के द्वारा आई हुई आपत्तियों को दूर करते हैं । जिनधर्म के प्रभाव को प्रकट करने वाले है तथा मानतुंग, समन्तभद्र, कुन्दकुन्द, विद्यानन्दि, अकलंक, वादिराज, सुदर्शन सेठ, महाकवि धनंजय आदि कितने महा पुरुषों की अवप्तरानुसार सहायता की है इससे जाना जाता है कि वे धर्मात्मा पुरुषों की अवसरानुसार सेवा भी करते रहते हैं । अस्तु, सहायता रहे ! परन्तु प्राचीन प्राणाली है इसलिये सादर विनय के योग्य है । इसके विरुद्ध कहने वालों का यह कहना है किभयाशास्नेहलोभाच कुदेवागमलिङ्गिनाम् । प्रणामं विनयं चैव न कुयुः शुद्धदृष्टयः ।। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197