________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra na Kendra www.kobatirth.org www.kobatirth.org A Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चलिये !! शीघ्रता करिये !!! पाठक महाशय ! यह वही पुस्तक है जो पहली / वार छपकर हाथों हाथ विकाबुकी है। उसीकी द्वितीयावृत्ति यह है / प्रथमावृत्ति में केवल तीन विषय थे। परन्तु अबकी वार बैठीपूजन, सन्मुखपूजन, शासन-- देवता, श्राद्ध, आचमन, तर्पण, दीपपूजन आदि वीस वाईस विषयों का शास्त्रानुसार निर्णय किया गया है। जिसे देखकर यह कोई नहीं कह सकेगा कि गन्धलेपनादि जिनमतानुसार नहीं है। किंबहुना, निष्पक्ष बुद्धिवालों के लिये यथार्थ मार्ग के बताने को दर्पण के समान काम आवगी / मैं उनलोगों से भी अनुरोध करता हूं कि जिन्हों ने प्रथमात्ति खरीदली है वे भी एक वक्त फिर स इस नवीन संस्करण को संगाकर पढ़ें। पुस्तक के मंगाने के नियम भीतर के पृष्ट पर देखो। गेंदालाल जैन " स्वतंत्रोदय" कार्यालय बड़नगर (मालवा) For Private And Personal Use Only