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संशयतिमिरप्रदीप |
के फल के विषय में कहां तक लिखा है इसके कहने की कोई अवश्यक्ता नहीं है । जिस २ ने फल पूजन से लाभ उठाया है उनका वर्णन ग्रन्थों में लिखा हुआ है। उसे देखो ! श्रद्धान में लाओ !!
अब देखना चाहिये शास्त्रों में फलों के चढ़ाने का किस तरह उल्लेख है !
श्री धर्मसंग्रह में लिखा है कि:सुवर्णैः सरसैः पकैजपूरादिसत्फलैः । फलदायि जिनेन्द्राणामर्चयामि पदाम्बुजम् ||
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अर्थात् - मनोभिलषित फल के देनेवाले जिन भगवान् के चरण कमलों को सुन्दर वर्ण वाले और अत्यन्त मधुर रसवाले आम, केला, भारंगी, जम्बू, कवीट, अनार आदि उत्तम फलों पूजता हूं ।
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श्री इन्द्रनन्दि संहिता मैः
ॐ मातुलिंगनारंगकपित्थक्रमुकादिभिः । फलैः पुण्यफलाकारैरर्च्य याम्यखिलार्चितम् ।।
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अर्थात- त्रैलोक्य करके पूजनीय जिन भगवान् को पुण्य फल स्वरूप मातुलिंग, नारंगी, कवीट, सुपारी, नारियल आदि फलो से पूजन करता हूं ।
श्री वसुनन्दि प्रतिष्ठासार में यों लिखा है कि:नालिकेराम्रपूगादिफलैः सगन्धसदृशैः । पूजयामि जिनें भक्तया मोक्षसौख्यफलप्रदम् ||