SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संशयतिमिरप्रदीप | के फल के विषय में कहां तक लिखा है इसके कहने की कोई अवश्यक्ता नहीं है । जिस २ ने फल पूजन से लाभ उठाया है उनका वर्णन ग्रन्थों में लिखा हुआ है। उसे देखो ! श्रद्धान में लाओ !! अब देखना चाहिये शास्त्रों में फलों के चढ़ाने का किस तरह उल्लेख है ! श्री धर्मसंग्रह में लिखा है कि:सुवर्णैः सरसैः पकैजपूरादिसत्फलैः । फलदायि जिनेन्द्राणामर्चयामि पदाम्बुजम् || www अर्थात् - मनोभिलषित फल के देनेवाले जिन भगवान् के चरण कमलों को सुन्दर वर्ण वाले और अत्यन्त मधुर रसवाले आम, केला, भारंगी, जम्बू, कवीट, अनार आदि उत्तम फलों पूजता हूं । से श्री इन्द्रनन्दि संहिता मैः ॐ मातुलिंगनारंगकपित्थक्रमुकादिभिः । फलैः पुण्यफलाकारैरर्च्य याम्यखिलार्चितम् ।। For Private And Personal Use Only अर्थात- त्रैलोक्य करके पूजनीय जिन भगवान् को पुण्य फल स्वरूप मातुलिंग, नारंगी, कवीट, सुपारी, नारियल आदि फलो से पूजन करता हूं । श्री वसुनन्दि प्रतिष्ठासार में यों लिखा है कि:नालिकेराम्रपूगादिफलैः सगन्धसदृशैः । पूजयामि जिनें भक्तया मोक्षसौख्यफलप्रदम् ||
SR No.020639
Book TitleSanshay Timir Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherSwantroday Karyalay
Publication Year1909
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy