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संशयतिमिरप्रदीप।
। अर्थात्-नारियल, आंवला, सुपारी, बीजपूर, सीताफल, अमरूद, निम्बू, केला, नारंगी, आदि पवित्रगन्ध और उत्तम रसयुक्त फला से अविनश्वर शिव सुख को देने वाले जिन भगवान् की अत्यन्त भक्ति पूर्वक पूजन करता हूं।
श्री आदिपुराण में महाराज भरत चक्रवर्ति ने फलों से पूजन की लिखी है उसे भी जरा देखियेःपरिणतफलभेदराम्रजम्बूकपित्यः
पनसलकुचमोचेर्दादिमौतुलिंगः। ऋमुकरुचिरगुच्छैनालिकेरैश्चरम्यैः
गुरुचरणसपर्यामातनोदाततश्रीः ॥ अर्थात्-छह खंड वसुंधरा के स्वामि महाराज भरत चक्रवर्ति अपने जनक आदिजिनेन्द्र के चरण कमलों की पके हुवे और मनोहर आम्र,जम्बू,कपित्थ,पनस,कटहर,लकुच केला, दाडिम, नारंगी, मातुलिंग, सुपारी, नारियल आदि अनेक तरह के फलों से अत्यन्त भक्ति पूर्वक पूजन करत हुवे । बसुनन्दि श्रावकाचार की आशा है किः
जंबीरमोयदाडिमकावित्थपणसूयनालिएरेहिं । हिंतालतालखज्जुरविणारंगचारेहि ॥ पुइफलतिंदुआमलयजबूचिल्लाइसुरहिमिटेहिं । जिणपयपुरओ रयणं फलेहिं कुज्जा सुपकेहिं ।।
अर्थात्-जंवीर, कदलीफल, दाडिम, कपित्थ, पनस, नालिकेर, हिताल,ताल,खजूर,किंदूरी, नारंगी, सुपारी, तिन्दुक,
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