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संशयतिमिरप्रदीप।
उत्तर यदि हमारा कहना ठीक नहीं है तो तुम्ही कहो कि किस
शास्त्र में इस विधि का निकाल किया गया है ? प्रश्न-क्रियाकोश में तो यह बात लिखी गई है ? उत्तरक्रिया कोष संस्कृतभाषा का पुस्तक है क्या ? प्रश्न-नहीं, भाषा का। उत्तर-वह किसी ग्रन्थ का अनुवाद है ? प्रश्न-यह ठीक मालूम नहीं परन्तु सुनते हैं कि इधर उधर के
संग्रह से बनाया गया है।
उत्तर यदि किसी मूल ग्रन्थ के आधार पर है तो वह अवश्य
माननीय है। विना आधार के भाषाग्रन्थ मूल ग्रन्थों की तरह प्रमाण नहीं हो सकते । यह बात विचारणीय है कि लोगों को तो महर्षियों के बचना पर श्रद्धा नहीं होती फिर निराधार दश दश पांच पांच वर्ष के बने हुवे ग्रन्थों को कहां तक प्रभाणता हो सकेगी? यह बात अनुभव के योग्य है। खैर! हमारा यह भी आग्रह नहीं है कि वह थोड़े दिनों का बना हुआ है इसलिये अप्रमाण है। थोड़े दिनों का बना हुआ होने पर भी यदि वह प्राचीन महर्षिया के कथनानुसार होता तो किसी तरह का
विवाद नहीं था। प्रश्न-दीपक पूजन में आरम्भ बहुत होता है और दीपक के
जोने में हिंसा भी होती है । इसलिये भी ठीक नहीं है !
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