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संशयतिमिरप्रदीप।
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प्राचीन पथका अनुसरण करने वाला है। इम समय विवादनीय विषय मुख्यतया गन्ध लेपन, पञ्चामृताभिषेक, अथवा पुष्प चढ़ाना, ये हैं। और जितने शेष विवाद हैं वे सब इन्हीं पर निर्भर हैं। इनको मिद्धि होने पर ओर विषयों की सिद्धि होने में फिर अधिक देरो नहीं लगेगी। ___ मैं आशा करता हूं कि भगजिनसेनाचार्य कत प्रादिपुराण, श्री वोरनन्दिमहिर्षि कृत चन्द्रप्रभुकाव्य, भगवद् णभद्रा चार्य कृत उत्तरपुराण, श्री नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ति कत त्रैलोक्यमार, आदि य ग्रन्थ प्रायः प्रमिद्ध हैं । इन के विषय में कोई यह नहीं कह सकता है कि ये ग्रन्थ प्रमाण नहीं हैं। इन्हीं में इस तरह लिखा है :
आदि पुगण में लिखा है कियथाहिकुलपुत्राणां माल्यं गुरुशिरोधृतम् । मान्यमिव जिनेन्द्राडि,स्पर्शान्माल्यादिभूषितम्
अर्थात्-जिस तरह पवित्र कुल के बालकों को अपने बड़े जनों के मस्तक पर को पुष्पमालास्वीकार करने योग्य है उमौ तरह जिनभगवान् के चरणों पर चढ़े हुए पुष्पमाल्य तथा चन्द नादि तुम्हें स्वीकार करने योग्य हैं।
भगवद्गुणभद्राचार्य उत्तरपुराण में यों लिखते हैंजयमेनापि सद्धम्म तत्रादायैकदा मुदा। पर्वोपवासपरिम्नानतनुरभ्यर्च्य साऽर्हतः । तत्पादपङ्कजाश्लेषपवित्रां पापहां स्वजम् । चित्रां पित्रे दितहाभ्यां हस्ताभ्यां विनयानता॥
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