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संशयतिमिरप्रदीप |
प्रश्न - चर्च धातु के प्रयोग पूजन अर्थ में आते हैं इस लिये कितनी जगहुँ चर्च धातु के प्रयोग से लेपन अर्थ किया गया है वह ठीक नहीं है । कितनीं जगहँ "चर्चे तं सलिलादिकैः” इसी तरह पाठ भी प्राता है । यदि चर्च धातु का लेपन अर्थ ही किया जाय तो साथ ही जल, चन्दन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, दीप, धूप, और फल ये अष्ट द्रव्य भी जिन भगवान् के ऊपर चढ़ाना पड़ेंगे !
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उत्तर - जैनाचार्यों के मतानुसार एकान्त से अर्थ करना भनेकान्तका बाधक है । यदि चर्च धातु के प्रयोग केवल पूजन अर्थ में ही आते होते तो, यह बात ठोक मानली जाती। परन्तु सैकड़ों जगहँ चर्च धातु के प्रयोगों का लेपन अर्थ भी तो किया गया है। फिर लेपन अर्थ का निषेध कैसे माना जा सकेगा ? दूसरे चर्च धातु का लेपन अर्थ करने में प्रमाण भो मिलते हैं । ऊपर पंडित शुभशील का मत तो दिखा ही पाये हैं। और इसी तरह श्रमर कोष में भी लिखा हुआ मिलता है । अमर कोष के विषय में तो यहां तक किम्बदन्ती सुनने में भाती है कि इसके कर्त्ता महाकवि श्री धनंजय थे | अमरसिंह तथा इन में घनिष्ट सम्बन्ध था। अमरसिंह ने अमरकोष को किसी तरह हरण करके उसे अपना बना लिया । अस्तु । जो कुछ हो उससे हमें कुछ प्रयोजन नहीं । परन्तु अमरकोष अभी अमरसिंह के नाम से प्रसिद्ध डो रहा है।
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