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इसके सिवाय रत्नकरण्डककी इस टीकाकी एक प्रति विक्रमसंवत् १४१५ (माघ सुदि ७ रवि दिन ) की लिखी हुई कारंजाके शास्त्रभंडार (बलात्कारगण. मंदिर ) में मौजूद है, ऐसा उस सूचीपरसे मालूम होता है जो हालमें बा. हीरालालजी एम० ए० ने भंडारके ग्रन्थोंको स्वयं देखकर उतारी थी और हमारे पास देखनेके लिये भेजी थी। इससे यह टीका वि० सं० १४१५ के बाद होनेवाले किसी भी प्रभाचंद्रकी बनाई हुई नहीं है, इतनी बात और भी स्पष्ट हो जाती है । २० वें नम्बरमें उल्लेखित किसी श्वेताम्बर प्रभाचन्द्रकी बनाई हुई भी यह टीका नहीं है; क्यों कि केवलीके कवलाहार-विषयक श्वेताम्बरोंकी मान्यताका इसमें (छठे पद्यकी टीकामें ) खास तौरसे खंडन किया गया है । और भी कई बातें ऐसी हैं जिनसे यह टीका किसी श्वेताम्बर आचार्यकृत प्रतीत नहीं होती। अब देखना चाहिये कि शेष-५ से १५ नम्बर तकंके-विद्वानोंमेंसे यह टीका कौनसे प्रभाचन्द्राचार्यकी बनाई हुई है अथवा बनाई हुई हो सकती है।
कुछ विद्वानोंका खयाल है कि यह टीका उन्हीं प्रभाचंद्राचार्य ( न० ५) की बनाई हुई है जो प्रमेयकमलमार्तड तथा न्यायकुमुदचंद्रोदयके कर्ता हैं, और अपने इस विचारके समर्थनमें वे प्रायः टीकाका निम्न वाक्य पेश करते हैं"तदलमतिप्रसंगेन' प्रमेयकमलमार्तण्डे न्यायकुमुदचन्द्रे प्रपंचतः प्ररूपणात् ।"
उनका कहना है कि इस वाक्यके द्वारा टीकाकारने, केवलिकवलाहार-विषयक प्रकृत प्रकरणको संकोचते हुए, उसके विस्तृत कथनको अपने ही बनाये हुए 'प्रमेयकमलमार्तड ' तथा ' न्यायकुमुदचंद्रोदय' नामके ग्रंथों में देखनेकी प्रेरणा की है। परन्तु इस वाक्यमें ऐसा कोई भी नियामक शब्द नहीं है जिससे यह निर्धारित किया जा सके कि टीकाकारने इसमें अपने ही बनाये हुए ग्रंथोंका उल्लेख किया है। वाक्यका स्पष्ट आशय सिर्फ इतना ही है कि 'प्रमेयकमलमार्तंड और न्यायकुमुदचन्द्र ( चन्द्रोदय ) में प्रकृत विषयका विस्तारके साथ प्ररूपण होनेसे यहाँ उसका और अधिक कथन देनेकी जरूरत नहीं है, जो दिया गया है उसी पर संतोष किया जाता है'-उसमें ऐसा कहीं भी कुछ बतलाया नहीं गया कि वह प्ररूपणा मेरे ही द्वारा हुई है अथवा मैं ही उन ग्रन्थोंका कर्ता हूँ। हाँ, यह ठीक है कि इस प्रकारके वाक्योंद्वारा एक ग्रन्थकार अपने किसी दूसरे ग्रन्थका भी उल्लेख अपने ग्रन्थमें कर सकता है परंतु वैसे ही, वाक्योंके द्वारा दूसरे विद्वानोंके ग्रन्थोंका भी उल्लेख किया जाता है और अक्सर होता आया है, जिसके दो एक नमूने नीचे दिये जाते
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