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स्वामी समन्तभद्र ।
४७० वर्ष बाद विक्रम राजाका जन्म हुआ है-न कि उसका सम्वत् प्रचलित हुआ, और इसके लिये वे नन्दिसंघकी दूसरी प्राकृत पट्टावलीका निम्न वाक्य पेश करते हैं
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संतरि चसदत्तो तिणकाला विकमो हवइ जम्मो । अठवरस बाललीला सोडसवासेहि भम्मिए देसे || १८ || उनके विचारसे विक्रमकी १८ वर्षकी अवस्था हो जाने पर, वीरनिर्वाणसे ४८८ वर्ष ५ महीने वाद, विक्रम संवत् प्रारम्भ हुआ है, और यह विक्रमके राज्यकालका सम्वत् है । श्रीयुत बाबू काशीप्रसादजी जायसवाल, बार-ऐट-ला, पटना, तथा मास्टर बिहारीलालजी बुलन्द - शहरी इसी मतको पुष्ट करते हैं और डा हर्मन जैकोबीका भी अब ऐसा ही मत मालूम होता * । नन्दिसंघकी पट्टावली में भी
१ यह पट्टावली जैनसिद्धान्तभास्करकी ४ थी किरण में भी मुद्रित हुई है । २ यह गाथा 'विक्रम-प्रबन्ध' में भी पाई जाती है, (जै० सि० भा०, किरण ४ थी, पृ० ७५ ।)
*यह बात डा० हर्मन जॅकोबीके एक पत्रके निम्न अंशसे मालूम होती है जो उन्होंने 'भगवान महावीर' नामक पुस्तककी पहुँच देते हुए, हालमें लिखा है और जिसके इस अंशको बा० कामताप्रसादजीने 'वीर' के दिसम्बर सन् १९२४ के अंक में मुद्रित किया है
In the 32nd chapter you show that according to Digambara tradition, the Nirvâna of Mahavira took place 470 before Vikrama. Now I found in Gurvavali from Jaipur that Vikrama's birth occurred 470 years after Mahavira's Nirvana सत्तरि चदुसदजुत्तो तिणकाला विक्कमो हवइ जम्मो . But the Vikrama era does not date from the जन्म of Vikrama, but from the राज्य of Vikrama, or from the 18 th year after his birth. By this reckoning the Nirvana should be placed 18 years earlier or 545 B. C.
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