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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/38 किया जा सकता है। मात्र इतना ही नहीं, वे अनिश्चित भविष्य के लिए अपने को परेशान नहीं करते हुए, वर्तमान के सुख की उपलब्धि पर ही अधिक बल देते हैं। समय-समय पर परिस्थितियां जिन सुखों को प्रस्तुत करती हैं, उन सुखों का वासनाओं, पूर्वाग्रहों एवं अंधविश्वासों से अविचलित रहकर शांत, सुनिश्चित एवं कौशलपूर्ण
चुनाव करने में प्रज्ञा (विवेक) की अभिव्यक्ति मानी जा सकती है। परम्परा के अनुसार उन्हें इस आदर्श को प्रभावक अवस्था प्राप्त करने वाला बताया जाता है। उनके अनुसार सामान्यतया बुद्धिमान् व्यक्ति को पूर्वाग्रहों से मुक्त होना चाहिए। एरस्टिपस रूढिगत नैतिकता के प्रति आदर की भावना को भी पूर्वाग्रहों में सम्मिलित करते हैं। यह रूढ़िगत नैतिकता सामान्य नैतिकता से भिन्न है क्योंकि उसके उल्लंघन के साथ वास्तविक दंड की धारणा जुड़ी हुई है। यद्यपि वे इस बात में सुकरात से सहमत हैं कि ये दंड वस्तुतः उसके अनुमोदन को तर्कसंगत बना देते हैं। ऐन्टिस्थेनीज और सिनिक्स
ऐन्टिस्थेनीज और सिनिक्स सम्प्रदाय ने सुकरात के विचारों को एरस्टिपस और सिरेनेक्स सम्प्रदाय से भिन्न रूप में समझा है। यद्यपि दोनों ही समान रूप से यह मानते हैं कि शुभ एवं सद्गुण की खोज एवं परिभाषा के लिए चिंतनपरक अनुशीलन आवश्यक नहीं है। ऐन्टिस्थेनीज के अनुसार जिस सुकरातीय प्रज्ञा के क्रियान्वयन में मानव का कल्याण निहित है, वह कौशलपूर्ण प्रयासों में अभिव्यक्त नहीं होती है, वरन् मनुष्य की तुच्छ इच्छाओं एवं आकांक्षाओं के विषयों की आंतरिक निस्सारता की स्पष्ट अनुभूति एवं सुखों की बौद्धिक उपेक्षा में अभिव्यक्त होती है। वस्तुतः उनकी दृष्टि में सुख एक बुराई है। उन्होंने कहा है कि सुखों के अधीन होने की अपेक्षा तो पागलपन अच्छा है। वे निर्धनता कठोर श्रम और अनासक्ति को आध्यात्मिक स्वतंत्रता एवं सद्गुणों की ओर प्रगति करने का एक आवश्यक साधन मानते हैं, वस्तुतः वे सुकरातीय आत्मशक्ति को बौद्धिक अंतर्दृष्टि से अनुपूरित करना चाहते हैं। वे यह भी मानते हैं कि अंतर्दृष्टि और अपराजेय आत्मसंयम के संयोग से एक ऐसी निरपेक्ष आध्यात्मिक स्वतंत्रता उपलब्ध की जा सकती है, जिसकी प्राप्ति पर मानव के पूर्ण कल्याण के लिए कुछ भी शेष नहीं रहता है। काल्पनिक और परम्परागत आवश्यकताओं से ऊपर उठ जाने की उनकी इस सनक' की उनके शिष्य डायोजिनस ने अतिरजितता के साथ प्रशंसा की है और इसी आधार पर उन्हें प्राचीन ग्रीक के सामाजिक इतिहास का विशिष्ट व्यक्ति बना दिया है। वे सुकरातीय पद्धति के उस