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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/98 व्याप्त होने वाले इसके चिंतन का स्वरूप कितना ही प्राचीन क्यों न हो, विचार का यह स्वरूप, जिसके कारण ये दृष्टिकोण दार्शनिक बन पाए थे, अनिवार्यतः ग्रीक हैं। इस स्वाभाविक विकास की पूर्ण बोधगम्य प्रक्रिया में स्टोइकवाद के द्वारा प्रस्तुत नैतिक चेतना की गम्भीरता एक महत्वपूर्ण भाग अदा करती है। यूनानी ज्ञान का प्रयास भावातिरेक की व्यवस्था की तैयारी के लिए उसे चरम उत्कर्ष पर पहुंचाता है। मनुष्य प्राकृतिक जीवन का यूनानी आदर्शीकरण शरीर और उसके कार्यों के प्रति विमुखता के रूप में समाप्त हो जाता है। इसके साथ ही यहां हमें प्लोटीनस के सिद्धांत और ग्रीक एवं हीबू विचारों के उस महत्वपूर्ण समानताओं को नहीं भूलना चाहिए, जिसे फिलोजूडस ने दो शताब्दी पूर्व विवेचित किया था, न तो नव प्लेटोवाद जुडा से फैलने वाले उस नए धर्म के सचेतन विरोध में विकसित हुआ था, जो कि प्लोटिनस के ग्रंथ रचनाकाल में ग्रीक रोमन जगत् की विषय को चुनौती दे रहा था और न इसने उस अंतिम भीषण संघर्ष को मुख्य सैद्धांतिक समर्थन दिया, जो कि बुलियन के नेतृत्व में प्राचीन बहुदेववादी पूजा पद्धति को बनाए रखने के लिए किया गया था। अब हम इस संघर्ष के असफल होने के पश्चात किंतु इन्हीं प्राचीन अवशेषों पर निश्चित रूप से स्थापित होने वाले विचारों के नए संसार की ओर मुड़ेंगे।
संदर्भ - 1. यह सुप्रसिद्ध पद मूलतः पाइथागोरीयन सम्प्रदाय के लिए ही प्रयुक्त किया जाता है। 2. तुलना कीजिए - प्रत्यक्षमेवप्रमाणं 3. झेनोफोन मेमोरिबिलिया अध्याय II (प्लेटो जार्ज, पृष्ठ 519) तुलना कीजिए - यह नहीं समझ लेना चाहिए कि साफि स्ट कहे जाने वाले सभी लोकप्रिय व्याख्याताओं के द्वारा यह कार्य व्यवसाय के रूप में अपना लिया गया था, किंतु उनके एक महत्वपूर्ण वर्ग के द्वारा प्रमाणपूर्ण ढंग से एवं स्पष्ट रूप से इसे एक व्यवसाय मान लिया गया था। जैसा कि बाद में विवेचित किया गया है, सद्गुण के लिए प्रयुक्त ग्रीक शब्द का अर्थ सद्गुण से अधिक व्यापक है, इसलिए उसका भाषांतर मानवीय उत्तमताओं के रूप में किया गया है,