________________
नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/217 पद्धति नैतिक-प्रश्नों के समाधान के हेतु सामान्य सुख की अभिवृद्धि अथवा हास के आधार पर कार्यों का मूल्यांकन करती है। मान्य अपराधों के दण्ड से उत्पन्न होने वाले तात्कालिक सुख जैसे किसी दुष्ट धनी व्यक्ति के सिर पर प्रहार करना। इस पद्धति की स्पष्ट आलोचनाओं से बचने के लिए वह किसी प्रकार के विधान के रूप में सामान्य नियमों की आवश्यता पर बल देता है, जबकि अच्छी आदतों के निर्माण और बनाए रखने को महत्त्व देकर वह आंशिक रूप से विशेष कार्यों के परिणाम की गणना करने की उलझन से भी बचना चाहता है। इस प्रकार, पेले की उपयोगितावाद-पद्धति उन विनाशक प्रवृत्तियों से मुक्त है, जिन्हें बटलर और दूसरे लोगों ने उसमें देखा है। पेले स्वयं बताता है कि वह केवल प्रचलित नैतिक और न्यायिक- विशेषताओं की व्याख्या करता है, कानून और नैतिकता के अधिकांश नियमों के द्वारा समर्पित
औचित्यता के स्पष्ट आधारों को व्यक्त करता है और किंकर्त्तव्य मीमांसा के कुछ जटिल प्रश्नों का सहज बुद्धि से संगतिपूर्ण एवं सरल समाधान प्रस्तुत करता है। इस प्रकार, प्राकृतिक अधिकार ऐसे अधिकार बन जाते हैं, जिनका सामान्य पालन नागरिक-शासन-संस्था से अलग रहकर भी उपयोगी होगा और जो उन आबंधक आनुषंगिक अधिकारों से, जिनकी उपयोगिता इस नागरिक-प्रशासन-संस्था पर निर्भर है, भिन्न है। इस अर्थ में वैयक्तिक सम्पत्ति अपने श्रम, अपनी कुशलता और अपनी सुरक्षा को प्रोत्साहित करने की स्पष्ट उपयोगिता के कारण स्वाभाविक है। यद्यपि सम्पत्ति का वास्तविक अधिकार भूमि के नियम के समान ही उन सामान्य उपयोगिता पर आधारित है, जिसके द्वारा कि वे नियम निर्धारित किए जाते हैं। इस प्रकार, पुनः इन कर्त्तव्य के आबंधों को स्वेच्छा से उत्पन्न आकांक्षाओं (प्रत्याशाओं) को संतुष्ट करने वाली सामान्य एवं विशेष उपयोगिता पर आधारित करके ईमानदारी और शुभ निष्ठा के कर्तव्यों से संबंधित अनेक समस्याओं का समाधान किया जाता है, ताकि उनकी ढिलाई को दूर किया जा सके, जो कि अंधविश्वास पर आधारित धर्म-संकोच से कम नहीं है, इसीलिए प्रचलित लैंगिक-नैतिकता के सामान्य उपयोगितावादी आधार को भी प्रभावपूर्ण ढंग से प्रतिपादित किया गया। यद्यपि हम देखते हैं कि पेले की पद्धति अक्सर प्राचीन विदेशी विचार-प्रणाली के तर्कों से युक्त है। उदाहरणार्थ, वह गरीबों के दान प्राप्त करने का अधिकार का समर्थन मानव-जाति के उस प्रयोजन के संदर्भ में करता है, जिसके अनुसार मनुष्य सामूहिक सम्पत्ति के बंटवारे के लिए सहमत हुए थे अथवा एक विवाह का समर्थन पुरुषों और स्त्रियों की समान संख्या की