________________
नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा / 264
बड़ी अवहेलना कर सकता है।
46. हम यह देख सकते हैं कि कुछ आधुनिक विचारक, जिन्हें सामान्यतया इस सम्प्रदाय के अंतर्गत माना जा सकता है, बाह्य- आचरण के नियमों के निर्धारण करने
कठिनाई से बचने का विभिन्न रूपों में प्रयास करते हैं। उदाहरणार्थ- मार्टिन्यू यह मानता है कि नैतिक सहज बुद्धि प्रथमतया बाह्य क्रियाओं से सम्बंधित नहीं है, बल्कि उसका सम्बंध संघर्षशील प्रेरणाओं की तुलनात्मक उच्छमता से है। दूसरे कुछ यह मानते हैं कि सहजबुद्धि के द्वारा जो कुछ जाना जाता है, वह व्यक्ति के कार्यों की उचितता और अनुचितता है। यह एक ऐसा दृष्टिकोण है, जो नैतिक - तर्क को व्यावहारिक दृष्टि से स्पष्टतया अनावश्यक मानता है।
-
47.
यह मानना होगा कि पेले का इस तर्क यह उपयोग अधिक युक्तियुक्त नहीं हैं। यह हितकर नर-हत्या के किसी कार्य के परिणामों और ऐसे कार्य करने की सामान्य अनुमति के परिणामों में समुचित प्रकार से अंतर नहीं कर पाया है।
49.
48. इस सूची में बेंथम के द्वारा प्रस्तुत कर्म - प्रेरकों के चौदह प्रकारों में से बारह प्रकार दिए गए हैं। इसमें धार्मिक अंकुश (जिसे बाद में जोड़ा गया है) और आत्महित से सम्बंधित सुख-दुःखों को छोड़ दिया गया है। यद्यपि आत्महित से सम्बंधित सुख दुःखों में सहानुभूति और बैर भाव को छोड़कर सभी दूसरे प्रकार समा जाते हैं। बेंथम उसमें निकटता और दूरी को भी जोड़ देता है, किंतु इससे उसका तात्पर्य यह हो कि किसी सुख की तिथि उसके तर्क - निष्पन्न मूल्य को प्रभावित करती है, सिवाय इसके कि समय की दूरी के बढ़ जाने पर उसकी अनिश्चितता में भी आवश्यक रूप से वृद्धि हो जाती है, यह समझ पाना कठिन है। 50. बेंथम सुख-दुःख दोनों को समाहित करने के लिए अंकुश शब्द का प्रयोग करता है, किंतु यह ध्यान देने योग्य है कि उसका अनुसरण करने वाले आस्टिन और (मेरी दृष्टि से विधिवेत्ताओं के पूरे सम्प्रदाय ने ही इस शब्द को दुःखों तक सीमित किया है। अंकुश प्रेरकों का ही एक प्रकार है और इसलिए विधि-निर्माता और न्यायाधीश उनसे मुख्यतः बाह्य रूप से ही सम्बंधित होते हैं।
51.
विधि एवं नैतिकता के सिद्धांत नामक ग्रंथ में प्रस्तुत बेंथम के अंकुशों के प्रारम्भिक वर्गीकरण में वह स्पष्ट रूप से नैतिक-भावनाओं के सुख-दुःखों को स्वीकार नहीं करता है। उसकी परिभाषा के अनुसार, उन्हें भौतिक-अंकुशों में समाहित किया जा सकता है, किंतु सम्भवतया हम यह मान सकते हैं कि वह इन अनुभूतियों को