Book Title: Nitishastra Ke Iitihas Ki Ruprekha
Author(s): Henri Sizvik
Publisher: Prachya Vidyapeeth

View full book text
Previous | Next

Page 309
________________ नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/307 सम्मान समाज के सदस्यों के भूतकालीन अनुभवों की अभिव्यक्ति के रूप में और उनके मार्गदर्शन के लिए उपयोगी होने के कारण ही किया जाता है, न कि इसलिए कि वे नियम, नैतिक-प्रमाण हैं। व्यक्ति स्वयं के लिए एकमात्र स्वीकृत नैतिक प्रमाण अनुभव के नैतिक-गुण में निहित है। सार्वभौम रूप से लाग किए जाने के सिद्धांत पर पहले जो बल दिया जाता था, उसके विरोध में अब एकल व्यक्ति की विशिष्टता को स्वीकार किया गया। इस धारणा में यह बात भी निहित है कि व्यक्ति अपने स्वयं के विशिष्ट दृष्टिकोण के द्वारा नैतिक-मूल्यों के क्षेत्र को प्रतिबिम्बित करता है। प्रत्येक के लिए और सभी के लिए नीति की समानता (अभेद) के आकारिक-लक्षण के रूप में वस्तुनिष्ठता और सामान्यता के स्थान पर अब प्रत्येक व्यक्ति की नैतिकता की दूसरे सभी व्यक्तियों की नैतिकता के साथ संगति या सहगामिता को देखा जाने लगा। इस युग के प्रारम्भ में प्रचलित नैतिक-आचरण के विस्तृत विवरणों के संदर्भ में अपनी बौद्धिक-अभिव्यक्ति की दृष्टि से इन दृष्टिकोण के व्यावहारिक-क्रियान्वयन के परिणामों के साथ, जो कि अभी परीक्षण की अवस्था में है, वर्तमान जीवनपद्धति अधिक सहमति नहीं रखती है। नीतिशास्त्र की समकालीन प्रवृत्तियों ने किसी निरपेक्ष तत्त्वमीमांसा के आधार पर नीतिशास्त्र के किसी संतोषजनक सिद्धांत की स्थापना के प्रयास की कमजोरी को अवश्य प्रकट किया है, चाहे वे ऐसे प्रयास की पूर्ण असफलता को सिद्ध न कर पाई हों। उन्होंने जैविक-विकास के तथ्यों और सिद्धांतों के आधार पर नैतिक-जीवन और नैतिक-मूल्यों को समझने के प्रयास की असमर्थता को प्रकट किया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि सुखवादी-सिद्धांत एक निम्नस्तरीय या झूठे मनोविज्ञान पर आधारित है। अब नैतिक-निर्णयों एवं उनके विशिष्ट रूपों तथा उनके निहितार्थों के स्वरूपके स्वतंत्र अध्ययन का उदय हुआ है और नीतिविज्ञान का प्रथम कार्य नैतिकता के इन आनुभविक-तथ्यों की समीक्षा है। जो कार्य सबसे अधिक प्राथमिक है, वह विशेष नैतिक-मूल्यों की परिगणना करना (या सूची बनाना) है। सेमुअल अलेक्जेण्डर ने बहुत पहले सन् 1889 ई. में इसकी आवश्यकता को प्रतिपादित किया था, किंतु किसी ने अभी तक (1936 ई.) इस कार्य के लिए गम्भीरतापूर्वक प्रयास किया है, यह नहीं कहा जा सकता है। सेमुअल ने तब ही कहा था कि नीतिशास्त्र का एक कार्य उन विभिन्न नैतिक-निर्णयों का एक सुसंगत वर्गीकरण प्रस्तुत करना है, जो कि नैतिक चेतना के विभिन्न घटकों का निर्माण करते हैं, साथ ही, जीवन के नैतिक-अनुभवों का एक क्रमबद्ध एवं सुव्यवस्थित विवरण प्रस्तुत करना

Loading...

Page Navigation
1 ... 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320