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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा / 252
विभिन्न स्तरों की अभिव्यक्ति हैं। मस्तिष्क से युक्त शरीर रचना इसका उच्चतम स्तर है और इसलिए चेतना से युक्त होता है जीवित प्राणियों में अभिव्यक्त यह संकल्प, जो 'संकल्प' के रूप में या जीवन के प्रयास के रूप में अधिक विशिष्टता के साथ जाना जा सकता है। जीवन के प्रति यह मूल-प्रवृत्यात्मक आवेग सभी प्राणीय - प्रकृति का गहनतम सारतत्त्व है, लेकिन इसका संघर्षरत होना अनिवार्यतया वर्त्तमान अवस्था की अपूर्णता और उसके प्रति असंतोष को सूचित करता है। वह जीवन, जिसे यह संकल्प निर्मित करता है और बनाए रखता है, मूलतया एक दुःखद जीवन है। ये क्षणिक संतोष, जिनके द्वारा व्यक्ति आनंदित होता है, वस्तुतः विधायक शुभ नहीं हैं, अपितु दुःखों से (एक अस्थाई) छुटकारा मात्र हैं । इस जीवन के साथ अपरिहार्य रूप से जुड़ा यह दुःख मनुष्य में अपनी अधिकतम सीमा पर पहुंच जाता है, क्योंकि मनुष्य इस संकल्प की उच्चतम अभिव्यक्ति है, साथ ही, यह दुःख बौद्धिक-प्रगति के द्वारा अनिवार्यतया बढ़ता जाता है, यहां तक कि जिसे शापन हावर शुद्धतम मानवीयसंतोष अर्थात् शांत सौंदर्यानुभूति कहता है, उसमें बढ़ता है। संसार की इस दुःखदअवस्था में मनुष्य का दर्शन के द्वारा निर्देशित कर्त्तव्य स्पष्टतया इस संकल्प (तृष्णा) का उच्छेद ही है और इसी में सम्पूर्ण सच्ची नैतिकता निहित है। इस संकल्प (तृष्णा) के उच्छेद के दो स्तर हैं। एक, निम्नतम साधारण सद्गुण उपलब्धि से पाया जाता है। यह सद्गुण मूलतया किसी आत्मा (अहं) के दूसरी आत्मा के साथ यथार्थ तादात्म्य की स्वीकृति पर निर्भर प्रेम और सहानुभूति के रूप में होता है। सद्गुणी आदमी इस स्वार्थ का निषेध और दमन करता है, जो कि सभी अन्यायों का मूल है, जो असमानात्मक रूप से दूसरे व्यक्ति में निहित उसी संकल्प को अभिव्यक्ति पर अतिक्रमण करने की स्वीकृति का संकल्प है, किंतु साधारण सद्गुण या सहानुभूत्यात्मक कार्य जीवित रहने की इच्छा की मूलभूत भ्रांति से युक्त नहीं है। इस इच्छा (तृष्णा) का पूर्ण निषेध तो उस वैराग्ययुक्त आत्म- दमन के द्वारा ही किया जा सकता है, जो कि जीवन के मिथ्या सुखों से पूर्णतया दूर ले जाता है 74 और उस वासना (तृष्णा) का भी दमन करता है, जो जाति के अस्तित्व को बनाए रखने की प्रेरणा देती है ।
हार्टमेन
निराशावाद के लिए शापनहावर का प्राथमिक तर्क संकल्प के मूल स्वरूपसम्बंधी विचार पर आधारित है और मानवीय - अनुभूतियों के सजग और निष्पक्ष निरीक्षण के द्वारा स्वीकृत है, किंतु जीवन की दुःखदायिता का एक अनुभव-सापेक्ष