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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/249 के ग्रंथों का अध्ययन प्रारम्भ हो चुका था। कोलरिज इंग्लैण्ड में जर्मन-दार्शनिकचिंतन की प्रवृत्तियों का एक पीढ़ी से अधिक समय तक प्रतिनिधि रहा है, लेकिन जब कोलरिज का कांटीय-दर्शन का अध्ययन प्रारंभ हुआ था, तभी तत्त्व मीमांसीयपद्धति और दृष्टिकोण का महत्त्वपूर्ण एवं गतिशील विकास उस दूसरे स्तर पर पहुंच चुका था, जिसके तीन प्रमुख रूपों का प्रतिनिधित्व क्रमशः फिक्टे, शोलिन और हेगल करते हैं। पूर्व में कांट के द्वारा पूर्व में अस्वीकृत फिक्टे के आत्मनिष्ठ प्रत्ययवादग्रंथों की एक सिरीज निकल चुकी थी और शेलिंग का दर्शन तत्त्व-शास्त्र के सभी जर्मन-अध्येताओं के आकर्षण का केंद्र होने का दावा कर रहा था। इसका एक परिणाम यह हुआ कि कालरिज के द्वारा आंशिक-रूप से अपनाया गया कांट वस्तुतः ऐसा कांट था, जिसे शेलिंग के दर्शन के माध्यम से देखा गया था। वस्तुतः, कांट के परमार्थ या वस्तु-निजरूप को मात्र शाब्दिक-अभिव्यक्ति से अधिक नहीं समझा गया था। हमें यह मान लेना होगा कि उसने अपनी कर्त्तव्य और स्वतंत्रता की व्यावहारिकधारणाओं के द्वारा मानवीय-प्रकृति की मूलभूत आध्यात्मिकता का वह विर्मशात्मिक ज्ञान प्राप्त कर लिया था, जिसका उसकी भाषा खंडन करती हुई प्रतीत होती है। यद्यपि कोलरिज के द्वारा आंग्ल मनस पर जर्मनी के चिंतन का जो अस्पष्ट प्रभाव पड़ा था, वह तत्त्वमीमांसा की दृष्टि से देखने पर कांटीया होने की अपेक्षा कांट के बाद का अधिक था, किंतु नीतिशास्त्र के क्षेत्र में ऐसा नहीं कहा जा सकता है। कोलरिज के बिखरे हुए नैतिक-नियमों में जो जर्मन-प्रभाव दिखाई देता है, वह विशुद्ध रूप से कांटीय है। इंग्लैण्ड के नैतिक-विचारकों में फिकटे, शेलिंग या अन्य किसी कांट के बाद के जर्मन-लेखक के विशिष्ट सिद्धांतों का कोई चिह्न माना जाता है, यह मेरी जानकारी में नहीं है, यद्यपि वर्तमान के तीसरे चरण में इंग्लैण्ड के नैतिक-विचारों पर हेगेल का स्पष्ट प्रभाव पड़ा था। हेगेल (1770-1831)
हेगेल के नैतिक-विचार मुख्य रूप से उसके ग्रंथ 1821 में पाए जाते हैं। जहां एक ओर कांट के नैतिक-विचारों से हेगेल के नैतिक-विचारों की निकटता है, वहीं दूसरी ओर, उनमें आश्चर्यजनक विरोध भी है। कांट के समान हेंगेल यह मानता है कि कर्त्तव्य या शुभाचरण उस स्वतंत्र बौद्धिक-संकल्प के चेतन-क्रियान्वयन में निहित है, जो कि सभी बौद्धिक-प्राणियों में मूलतया समान ही है, लेकिन कांट के दृष्टिकोण में इस संकल्प का सामान्य तत्त्व यह सामान्य शर्त है कि जिसको जिसे सभी