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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/136 नैतिकता केवल आंशिक रूप से ही उसके विशेष साध्य या प्रेरक के द्वारा निर्धारित होगी और आंशिक रूप में उस कर्म की नैतिकता उस कर्म के बाह्य विषयों और परिस्थितियों पर निर्भर होगी। सिवाय उन कार्यों के, जो कि बाह्य परिस्थितियों से तटस्थ होते हैं और जिनकी शुभाशुभता का निर्धारण पूरी तरह से प्रेरक पर निर्भर होता है, ये परिस्थितियां शेष कार्यों को या तो बुद्धि के आदेश के अनुकूल रखेगी या प्रतिकूल रखेगी। विशेष सद्गुणों और दुर्गुणों के वर्गीकरण में हम बहुत ही स्पष्ट रूप से उन विभिन्न विचारधाराओं के तथ्यों को अलग-अलग कर सकते हैं, जिन्हें थामस एक्वीनास ने आत्मसात कर लिया था। मनुष्य की बौद्धिक प्रकृति के अंतर्गत आने वाले सद्गुणों अथवा उन सद्गुणों की, जिन्हें अभ्यास या प्रशिक्षण के द्वारा अंशतः प्राप्त किया जा सकता है विवेचना में वह मुख्यतया अरस्तूवादी है। प्राकृतिक सद्गुणों को बौद्धिक सद्गुण एवं नैतिक सद्गुण के रूप में वर्गीकृत करने में तथा पुनः बौद्धिक सद्गुणों को विमर्शात्मक सद्गुण एवं व्यावहारिक सद्गुण के रूप में वर्गीकृत करने में भी वह अरस्तू का अनुसरण करता है। पुनः, विमर्शात्मक बौद्धिक सद्गुण को भी बुद्धि, विज्ञान और प्रज्ञा में विभाजित किया गया है। बुद्धि, जो सिद्धांतों की जानकार है, विज्ञान जो निष्कर्ष निगमित करता है और दूसरे प्रज्ञा, जिसका सम्बंध लोकोत्तर वस्तुओं के ज्ञान की समग्र प्रक्रिया से है। व्यावहारिक प्रज्ञा या विवेक अवियोज्य रूप से नैतिक सद्गुण से सम्बंधित है, इसलिए एक अर्थ में नैतिक हैं। इन सभी विवेचनाओं में भी वह अरस्तू का अनुसरण करता है। पुनः, जब वह नैतिक सद्गुणों में उन सद्गुणों से, जो कि प्राथमिक रूप से स्वयं कर्ता की वासनाओं से सम्बंधित है न्याय का, जो कि उन कार्यों में अभिव्यक्त होता है, जिसमें दूसरों को उनका हक मिलता है, अंतर स्थापित करता है, तो वह मात्र अरस्तू के सिद्धांत की व्याख्या प्रस्तुत करता है। उसकी परवर्ती सद्गुणों की 10 तक की सूची पूरी की पूरी अरस्तू के नीतिशास्त्र से ली गई है। दूसरी ओर, आत्मा के अबौद्धिक पक्ष आवेगों का वर्गीकरण वासनाजन्य आवेग और बाधाजन्य आवेग के रूप में किया गया है, जो कि अरस्तू" की अपेक्षा प्लेटोवादी अधिक है। वासनाजन्य आवेग वे हैं जो संवेदनीय शुभ या अशुभ के सरल बोध से उत्तेजित हो जाते हैं, जैसे - प्रेम, घृणा, राग, द्वेष, हर्ष, शोक आदि, जबकि बाधाजन्य आवेग में वे आवेग आते हैं, जो कि वांछित वस्तु की उपलब्धि को मार्ग में बाधा पड़ने से उत्तेजित होते हैं।8, जैसे-निराशा, भय, साहस एवं क्रोध आदि। वह वासनाओं का नियंत्रण करने वाले अपने सद्गुणों की सूची को