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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/140 प्राप्त करने में कहां तक योग्य है? थामस एक्वीनास के दर्शन का यह पहलू कमजोर प्रतीत होता है, जिसमें उसने विभिन्न पक्षों के समन्वय के द्वारा उनमें आपस में संगति बिठाने का प्रयत्न किया है। वह इस सम्बंध में पूर्णतया सतर्क हैं कि ईसाई धर्म और
अरस्तु के दर्शन के आधार पर किया गया यह संस्करण दो भिन्न कठिनाइयों को इस मानवीय योग्यता के प्रश्न के सम्बंध में सहा करता है। पहली गैर ईसाई कठिनाई इन दो बातों में संगति बिठाने की है कि एक ओर संकल्प या उद्देश्य वह बौद्धिक इच्छा है जो सदैव ही दृश्य शुभ के द्वारा निर्धारित होती है, तो दूसरी ओर नैतिकता के विधिक दृष्टिकोण के लिए शुभ और अशुभ के मध्य चुनाव की स्वतंत्रता अपेक्षित है। दूसरीईसाई कठिनाई चुनाव की स्वतंत्रता के इस प्रत्यय का धार्मिक चेतना के द्वारा स्वीकृत ईश्वरीय कृपा पर पूर्ण निर्भरता की धारणा के साथ समन्वय करने सम्बंधी है। थामस पहली पर पूरी तरह विचार ही नहीं करते हैं। दूसरी के सम्बंध में वे अपने पूर्वजों के समान ही संकल्प की स्वतंत्रता और ईश्वरीय कृपा में सहकार मानकर बचने का प्रयास करते हैं। उनके नैतिक दर्शन के इसी पहलू के विरोध में डन्स स्काट्स के द्वारा उनकी आलोचना की गई है। डन्स स्काट्स (1266-1308)
डन्स स्काट्स का कहना है कि यदि संकल्प बुद्धि से बंधा हुआ है, जैसा कि अरस्तू के पश्चात् थामस एक्वीना ने माना है, तो वह वस्तुतः स्वतंत्र नहीं हो सकता है, एक वास्तविक स्वतंत्र चयन की बुद्धि और आवेग-दोनों को ही पूर्णतया अनिर्धारित होना चाहिए। स्काट्स ने सदैव ही यह माना है कि ईश्वरीय आदेश समान रूप से बुद्धि से भी स्वतंत्र है और जगत् की ईश्वरीय व्यवस्था भी पूर्णतया या प्रेच्छिक है। इस सम्बंध में विलियम ओकम की कुशाग्रबुद्धि ने भी उसका ही अनुसरण किया है, यद्यपि यह मान्यता स्पष्टतया खतरनाक है, जो पूर्ण तर्कसंगत नैतिकता के लिए विश्व की नैतिक शासन व्यवस्था पर आधारित है। विलियम ओकम (मृत्यु 1347 ई.)
सामान्यतया ओकम और उसके अनुयायियों का न्यायवाद परोक्ष रूप से पाण्डित्यवादी नीतिशास्त्र के इतिहास से महत्वपूर्ण है। जब सामान्यों की वास्तविकता का निरसन करके इस पुल को तोड़ दिया, जिसे प्रारम्भिक पाण्डित्यवाद ने संवैध अनुभूति के विशेष घटकों (दृश्य जगत्) और सम्पूर्ण अस्तित्व के अंतिम आधार एवं साध्य ईश्वर के बीच बनाया था, तो जो