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नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा/ 49 ये सद्गुण अभिव्यक्त होते हैं, तो हमें चिंतन के उन क्षेत्रों में प्रवेश करना होगा, जिन्हें वर्तमान में नीतिशास्त्र और राजनीतिशास्त्र के अलग-अलग नामों से जानते हैं, यद्यपि प्लेटो ने इन्हें एक दूसरे से पृथक् नहीं किया है। प्लेटो के अनुसार नागरिकों के कर्तव्य के विभिन्न क्षेत्रों की विस्तृत विवेचना एक ऐसी प्रबुद्ध व्यवस्था के द्वारा होगी, जो कि अपनी प्रजा की नैतिक अच्छाइयों के विकास को ही प्रजा का सच्चा कल्याण मानता है। विशेष बात यह है कि प्लेटो ने अपने 'रिपब्लिक' नामक ग्रंथ में प्रस्तुत अपनी
आदर्श राज्य की कल्पना में क्रमशः उत्पन्न भावना और जीवन का वर्गीकरण छोड़ दिया है। साथ ही लैंगिक सम्बंध को भी केवल प्रजाति (नस्ल) के सुधार की दृष्टि से ही निश्चित किया है। कार्यों का विभाजन भी योग्यता के आधार पर किया गया है और राज्य शासन के द्वारा निरूपित नियमों के पालन को ही नैतिकता का सर्वस्व मान लिया है। प्लेटो ने केवल दार्शनिकों को ही शासन एवं शिक्षा के सामान्य कार्यों के अतिरिक्त अमूर्त चिंतन के उच्च क्षेत्र के योग्य माना है। उसके अपने लाज नामक ग्रंथ में विकसित स्त्री और सम्पत्ति के त्याग के आदर्श व्यावहारिक राजनीति के लिए बहुत ही ऊंचे हो गए हैं। उस ग्रंथ में शिक्षा, विवाह तथा नागरिकों का बाल्यकाल से लेकर वृद्धावस्था तक का सम्पूर्ण जीवन (शासकीय) नियंत्रण का मुख्य विषय माना गया है। मात्र यही नहीं सभी प्रकार की उपासनाएं भी शासकीय नियंत्रण का विषय मानी गई थीं, ताकि वे नागरिकों को संतोषप्रद रूप से व्यापक एवं पूर्ण नैतिक मार्गदर्शन प्रदान कर सकें। वस्तुतः प्लेटो इस सम्बंध में सजग था कि यह सूक्ष्म नियंत्रण पूर्ण रूप से कानूनी बाध्यता के द्वारा सम्भव नहीं है, फिर भी वह मानता है कि जीवन के किसी एक भाग तक शासन को प्रेरणा, प्रोत्साहन और न्यायिक दंड का उपयोग करना चाहिए।
संक्षेप में उसके आदर्श का कार्य आधुनिक चर्च और आधुनिक राज्यदोनों के कार्यों का मिलाजुला रूप है, फिर भी वह वैयक्तिक जीवन में जितनी अधिक कठोरता के साथ वैधानिक नियंत्रण लाना चाहता है, वह आधुनिक पाठक के लिए आश्चर्य का विषय है। प्लेटो ने नागरिक कानून के द्वारा व्यक्तिगत लाभ के लिए हस्तकौशल, फुटकर व्यापार एवं न्यायालयों में वकालत करने के कार्य पर पाबंदी लगा दी थी। नागरिक तीन वर्ष तक संगीत सीखने के लिए बाध्य थे। इसी प्रकार 18 वर्ष तक की उम्र के नागरिकों के लिए मद्यपान सर्वथा निषिद्ध माना गया था। 40 वर्ष की अवस्था तक सभी