________________
( ३७ ) मित्र परसमय भाव होता है अहिंसा धर्म पालन करने वाले पाणी की यही पूर्ण परीक्षा है कि-यदि हिसक जीव भी उसके पार चले जावे तो वेह सपने स्वभाव को छोड़ क दशालू भाव धारण र लेते हैं।
सत्य महाव्रत--
अहिंसा महावत को पारद र रसे हुए द्वितीय सत्य महावा भी पालन किया जाता है जिस पाल्मा ने इस महाव्रत का पाश्रय ले लिया है वह सर्व कार्यों में सिद्धि कर सकता है क्योंकि लत्य में सर्व विद्या प्रतिष्ठित हैं सत्य शात्मा का प्रदर्शक है तथा प्रात्मा का अद्वितीय मित्र है उसकी रक्षा के लिए ! क्रोध-भय-तोभ-हास्य इन कारणों को छोड देना चाहिए । साधु मन बचन फाय से मृपा वाद को न वोले न औरों के घोलप जो मृपावाद (झूल) चोलते हैं उनकी अनुमोदना भी न करे. क्योंकि अश्त्य वादी जीव विश्वास का पात्र भी नहीं रहता अतएव ! इल महाव्रत का धारण करना महान् मात्माओं का तेव्य है।