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चलें, मन-के-पार मिली । उसने पूछा- 'हे जंगल के राजा ! तुम चाहते तो गधे को दिन में तारे दिखा सकते थे, फिर तुम लौट क्यूं गए ?' शेर बोला'लोमड़ी ! आजकल तेरी बुद्धि को क्या हो गया है ? इतनी-सी बात नहीं समझी । दरअसल मैं किससे लडूं, गधे से, जिसका और मेरा कोई मुकाबला ही नहीं है । इसके बाद भी मैं गधे से लड़कर उसे हरा दूं और जीत जाऊं तो लोग कहेंगे इसमें क्या बड़ी बात है । शेर और गधे की लड़ाई में तो शेर को ही जीतना था । बेचारा गधा उसके सामने कहाँ ठहरता । शेर को भी अक्ल नहीं है, लड़ा भी तो किससे, गधे से ? अरे शेर की अक्ल कहाँ गई ? इसके अलावा मान लो गधे की दुलत्ती कहीं गलत जगह पड़ गई और मैं हार जाऊँ तो लोग यही कहेंगे- शेर होकर गधे से हार गया । इसलिए अपने स्तर से नीचे के जीवों से क्या लड़ना, उन पर क्या बहादुरी दिखाना ।'
यही फर्क है, लड़ना है तो क्रोध से लड़ो, मान से लड़ो । जिन्दगी का असली शेर तो यही है । इससे लड़ो । मेरे पास गधे नहीं हैं, शेर हैं । आओ शेर से लड़ो । मैं आपको शेर से लड़ना सिखाता हूँ । यह मत सोचो कि आपके पास ताकत नहीं है । आपके पास ताकत है । फर्क यही है कि आपको इस ताकत की पहचान नहीं है । ताकत आपके अन्तरमन में छिपी है । उसे खोजने और पहचानने की जरूरत है ।
एक बुढ़िया कहा करती थी कि मैं अशक्त हो गई हूँ, मेरे पास ताकत नहीं है । वह हमेशा लकड़ी लेकर चला करती थी । एक रात वह जब पलंग पर सो रही थी । अचानक एक साँप वहाँ आ गया । उसे देखते ही बुढ़िया में न जाने कहाँ से दुनिया भर की ताकत आ गई
और वह 'साँप ! साँप !' चिल्लाती पलंग से कूदकर भागती चली गई । कहाँ तो वह बुढ़िया लकड़ी के बिना चल ही नहीं सकती थी और साँप को देखते ही उसकी शक्ति लौट आई ।।
___ जहाँ मनुष्य अपनी सारी ऊर्जा एकत्र कर लेगा, वहीं रोशनी पैदा हो जाएगी । नए जीवन का स्वागत होगा । ऊर्जा को एकत्र करने का नाम ही ध्यान है । इसलिए अपनी सारी ऊर्जा को यहाँ लाकर एकत्र कर लेना । इस ऊर्जा को फिर सही उपयोग में लेना । अपने आपको बाहर
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