Book Title: Chale Man ke Par
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 255
________________ आचार-शुद्धि के लिए की गई पहल का ऐतिहासिक विवरण । खरतरगच्छ महासंघ, दिल्ली का पठनीय प्रकाशन | पृष्ठ २६०, मूल्य ३०/चन्द्रप्रभ : जीवन और साहित्य : डॉ. नागेन्द्र महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर जी की साहित्यिक सेवाओं का विस्तृत लेखा-जोखा | एक समीक्षात्मक अध्ययन । पृष्ठ १६०, मूल्य १५/उपाध्याय देवचन्द्र : जीवन, साहित्य और विचार : महो. ललितप्रभ सागर महान् तत्त्वविद् उपाध्याय श्रीमद् देवचन्द्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के विभित्र पहलुओं पर प्रशस्त प्रकाश डालने वाला एक शोध प्रबन्ध । पृष्ठ ३२०, मूल्य ५०/हिन्दी सूक्ति-सन्दर्भ कोश : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर हिन्दी के सुविस्तृत साहित्य से सूक्तियों का ससन्दर्भ संकलन; भारतीय सन्तों एवं मनीषियों के चिन्तन एवं वक्तव्यों का सारगर्भित सम्पादन; आम पाठकों के अलावा लेखकों के लिए खास कारगर; एक आवश्यकता की वैज्ञानिक आपूर्ति । दो भागों में। पृष्ठ ७५०, मूल्य १००/पंच संदेश : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर पुस्तक में है अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह पर कालजयी सूक्तियों का अनूठा सम्पादन । पृष्ठ ३२, मूल्य २/ सन्त-वाणी महाजीवन की खोज : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर आचार्य कुन्दकुन्द, योगीराज आनंदघन एवं श्रीमद् राजचन्द्र जैसे अमृत-पुरुषों के चुने हुए अध्यात्म-पदों पर बेबाक खुलासा | घर-घर पठनीय प्रवचन-संग्रह । हर मुमुक्षु एवं साधक के लिए उपयोगी । पृष्ठ १४८, मूल्य १०/बूझो नाम हमारा : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर योगीराज आनंदघन के पदों पर किया गया मनोवैज्ञानिक विवेचन, जो पाठक का मौलिक व्यक्तित्व से परिचय करवाता है। पृष्ठ ६८, मूल्य ४/देह में देहातीत : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर प्रसिद्ध अध्यात्मवेत्ता आचार्य कुन्दकुन्द की टेढ़ी गाथाओं पर सीधा संवाद | विशिष्ट प्रवचन । पृष्ठ ७२, मूल्य ५/भगवत्ता फैली सब ओर : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर आचार्य कुन्दकुन्द के अष्टपाहुड़ ग्रन्य से ली गई आठ गाथाओं पर बड़ी मार्मिक उद्भावना । इसे तन्मयतापूर्वक पढ़ने से जीवन-क्रांति और चैतन्य-आरोहण बहुत कुछ सम्भव । पृष्ठ १००, मूल्य १०/सहज मिले अविनाशी : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर पतंजलि के प्रमुख योग-सूत्रों पर पुनर्प्रकाश; योग की एक अनूठी पुस्तक । पृष्ठ ९२, मूल्य १०/ [४] Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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