________________
समाधि का प्रवेश द्वार
१६१ ओर माल-सामान का ढेर लगा रहे हो और स्वयं बिल्कुल खाली पड़े हो । अन्ततः नतीजा यह होगा कि माल यहीं पड़ा रह जाएगा और मालिक लुट जाएगा । उस पिंजरे का क्या मोल जिसका पंछी उड़ जाये !
कहते हैं किसी आदमी के पास कई तरह के पशु-पक्षी थे । जब उसने सुना कि हजरत मूसा पशु-पक्षियों की भाषा समझते हैं तो वह मूसा के पास गया । उसने मूसा से पशु-पक्षियों की भाषा सीखनी चाही, पर मूसा ने मना कर दिया । आदमी अपनी जिद पर अड़ा रहा और हठ करके उसने मूसा से भाषा सीख ली । तब से वह आदमी अपने पशु-पक्षियों की बातें जब-तब सुना करता ।
एक दिन मुर्गे ने कुत्ते से कहा कि मालिक का घोड़ा बहुत जल्दी ही मरने वाला है । आदमी ने जब यह सुना तो वह खुश हुआ । उसने अपना घोड़ा बेच दिया और होने वाली हानि से बच गया । थोड़े दिन बाद उसने मुर्गे को कुत्ते से यह कहते सुना कि मालिक का खच्चर शीघ्र ही मर जाएगा । मालिक ने खच्चर को भी बेच दिया । एक दिन मुर्गे ने गुलाम के मरने की बात कुत्ते को कही, तो मालिक ने उसे भी बेच दिया । वह प्रसन्न था कि उसने पशु-पक्षियों की भाषा सीखकर कितना-कितना फल प्राप्त किया । अन्त में एक दिन मुर्गे ने कुत्ते से कहा कि दो दिन बाद अपने मालिक की मृत्यु होने वाली है । यह सुनकर वह घबराया और भय के मारे कांपने लगा । वह दौड़ा-दौड़ा गया मूसा के पास, पूछा कि अब मैं क्या करूँ ?
मूसा ने कहा- करना क्या है ? जाओ और अपने को बेच डालो । 'क्या ?' 'हाँ, ठीक वैसे ही जैसे तुमने घोड़े, खच्चर और गुलाम को बेचा।'
क्या बेचोगे स्वयं को ? कितने में बेचोगे ? किसके लिए बेचोगे ? तुम्हें तो आग लगी जा रही है । जिन्दगी न तो बेचने के लिए है, न बदले में कुछ पाने के लिए । मेहरबानी कर अपने लिए जरा सोचो कि जीवन क्या है, और जीने के उद्देश्य क्या हैं ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org