________________
१४०
चलें, मन-के-पार रातें, हिमवात-पिटी बालू, शरीर पर मात्र एक लंगोटी और खुला आकाश, ठिठुरती हवाएँ । आम आदमी तो दो कम्बल ओढ़ कर भी सहन नहीं कर पाता, किन्तु लोगों ने उन्हें तब भी पसीने से तरबतर पाया । उनसे पचास कदम दूर बैठा आदमी भी उनके अन्तः स्तल में गूंजती ध्वनि और सांस की तीव्रता का अहसास कर सकता था । यदि एक ही ध्वनि का निरन्तर उच्चार करते चले जाओ, तो ताप पैदा होगा - ही होगा ।
तानसेन के बारे में हम जानते हैं कि जब वह मल्हार राग छेड़ता तो जंगल के जानवर उसके पास चले आते । आश्चर्य तो यह है कि शेर और हिरन - दोनों एक ही मंच पर आकर उसे सुनने लगते । कहते हैं कि तानसेन के दीप-राग से महल के दीये जल उठते थे । यह ध्वनि की एक सिद्धहस्त पराकाष्ठा है ।
हाल ही, मास्को में मनोचिकित्सकों का एक सम्मेलन हुआ । जिसमें गहरी छानबीन के बाद यह निर्णय लिया गया कि कुछ संगीत ऐसे होते हैं, जो व्याधि-निरोधक शक्ति पैदा करते हैं । कुछेक विशिष्ट लोकगीत भी ऐसे होते हैं, जो पशुओं के आरोग्य के लिए लाभदायी सिद्ध हो सकते हैं । मानसिक एकलयता प्राप्त करने में भी संगीत कारगर साबित हुआ है ।
जापान का योषिहिकोहिटो भी अपनी तीव्र ध्वनि के लिए काफी चर्चित है । कहा जाता है कि जब वह अपने मुँह से आवाज निकालता है, तो तीव्र गति से चलने वाली रेलगाड़ी की आवाज भी उसके सामने मन्दी पड़ जाती है । लोगों का दावा है कि उसकी आवाज रेलगाड़ी की आवाज से भी पन्द्रह गुनी जोर की होती है ।
सैनिकों की परेड देखी होगी आपने । सौ सैनिकों के पाँव एक साथ उठते हैं और एक साथ ही नीचे गिरते हैं । यह जूतों की ध्वनि का अनुशासन है । सौ सिपाहियों के पांवों की एक आवाज तोप के गोले के बराबर कही जाती है ।
ध्वनि की उच्चता से तो कानों के पर्दे फट सकते हैं, आदमी पागल तक हो सकता है । यहाँ तक कि मृत्यु भी हो जाती है । अमेरिका और कई प्रदेशों में इसीलिए पॉप संगीत बजाने पर पांबदी लगा दी गई है ।
1
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org