Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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चूर्णप्रकरणम् ]
द्वितीयो भागः।
[१४३ ]
इलायची और अनारदाना समान भाग लेकर चूर्ण | पिवेत्पित्तहरं रात्रौ क्षीरिणीशाकमाचरेत् । कर लीजिए।
दध्यानं दापयेत्पथ्यं दुग्धैर्वाला च मण्डकम् ।। ____ अश्विनीकुमार निर्मित इस चूर्णको ४ माशेकी ग्रहणी रोगकी शान्तिके लिए... मात्रानुसार शहदमें मिलाकर तण्डुलोदक ( चाव- सफेद चन्दन, पनाक, खस, पाठा, मूर्वा, लों के पानी) के साथ पीनेसे चार प्रकारके प्रदर, नागरमोथा, सौराष्ट्री, अतोस, तेजपात, दालचीनी, रक्तातिसार, रक्तार्श (खूनी बवासीर ) और रक्तपित्त | इलायची, देवद्वार और स्याहमिर्च समान भाग लेकर का अत्यन्त शीव्र नाश होता है ॥
चूर्ण बना लीजिए। (१६९९) चन्दनादिचूर्णम् (भै.र.।शुक्र.मे.) बकरीके दूध में आधा पानी मिलाकर पकाइये। चन्दनं शाल्मलीपुष्पं त्रिजातं रजनीद्वयम् । जब पानी जल जाय तो दूधको ठण्डा कर अनन्तां शारिवां मुस्तमुशीरं यष्टिकामले ॥ लीजिए । उपरोठ चूर्ण २-३ माशेकी मात्रानुसार स्वर्णपत्रीं शुभां भाी देवदारुहरीतकीम् । शहद में मिलाकर चाटकर ऊपरसे यह दूध पीना सर्वद्विगुणितं लौहश्चैकत्र परिमर्दयेत् ॥ चाहिए । और रात्रि के समय दूधीका शाक खाना ममेहा विंशतिः श्वासःकासो जीर्णज्वरस्तथा। चाहिए । एवं पश्यमें दहीभात अथवा नेत्रबालाके प्राशनादस्य नश्यन्ति दुर्नामानि च कामला।। क्वाथसे पकाए हुवे दूधमें बना हुवा चावलोंका
सफेद चन्दन, सेमलके फूल, दालचीनी, । मण्ड ग्वाना चाहिए। इलायची, तेजपात, हल्दी, दारुहल्दी, अनन्तमूल, (१७०१) चन्दनादिचूर्णम् सारिवा, नागरमोथा, खस, मुलैठी, आमला, सनाय, ( यो. २.; वृ. नि. र. । दाह. ) बंसलोचन, भारंगी, देवदारु और हरका चूर्ण चन्दनोशीरकुष्ठाब्दधात्रीचोरकमुत्पलम् । समान भाग और समस्त ओषधियोंसे दो गुना मधुकं मधुपुष्पं च द्राक्षाखर्जरकं तथा ॥ शुद्ध लोह चूर्ण+ लेकर एकत्र खरल करा लीजिए। चूर्णीकृतं समसितं प्रातः शीताम्बुना पिवेत् । ___इसे ( १ माशेकी मात्रानुसार शहद के साथ) रक्तपित्तं तथा श्वास पैत्वं गुल्मं समुद्धरेत् ॥ चाटनेसे २० प्रकारके प्रमेह, श्वास, खांसी, जीर्ण अङ्गदाहं शिरोदाहं शिरोविभ्रममेव च । 'चर, बवासीर और कामलाका नाश होता है। कामलाच प्रमेहांश्च पित्तज्वरविनाशनम् ॥ (१७००) चन्दनादिचूर्णम् (वृ.नि.र.|संग्र.) चन्दनायमिदं चूर्ण पूज्यपादेन भाषितम् ।। चन्दनं पद्मकोशीरपाठासूकुटन्नटम् ।
सफेद चन्दन, खस, कृउ. नागरमोथा, आमला, सौराष्ट्रयतिविषापत्रत्वगेलादेवदारु च ॥ चोरक, नीलोफर, मुलै डी, महुवेके फूल, मुनक्का मरिचं चूर्णयेत्तुल्यं मधुना लेहयेदनु । और खजूरका चूर्ण १-१ भाग तथा मिश्री ११ अजाक्षीरं जलार्धेन काथ्य दुग्धावशेषकम् ।। ! भाग लेकर एकत्र मिला लीजिए।
+ लोहभस्म लेना उत्तम है
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