Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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संख्या प्रयोगनाम २१४८ ज्वरमातङ्गकेसरी
२१४९ ज्वरमुरारि रसः
२१५०
२१५१ ज्वरराज रसः २१५२ ज्वरशतघ्नी २१५३ ज्वरशूलहरोरस:
२१५४ ज्वरसिंहरस:
२१५५ ज्वरहरोरस:
२१५६ ज्वरहारीरसः
२१५७ ज्वराङ्कशः
२१५८
२१५९
२१६०
२१६१ २१६२
22
२१६३
२१६४
२१६५
२१६६
11
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27
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भा० ६९
रस:
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77
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चिकित्सा - पथ-प्रदर्शिनी
मुख्य गुण
संख्या प्रयोगनाम
आमज्वर, अग्निमांद्य २१६७ ज्वराङ्कुश रसः
आमज्वर
२१६८
22
32
अत्यन्त अजीर्ण और
२१६९ ज्वरान्तको रसः
कब्ज़ वाला ज्वर,
२१७० ज्वरारि रसः
शरीरका जकड़ना, खांसी, शोथ, यकृत्,
पीहा ।
समस्तज्वर, चातुर्थिक २१७१ सन्निपातमें अद्भुत्
२१७२
पसीना आकर समस्त
ज्वर उतर जाते हैं । चातुर्थकादि
समस्त ज्वर
नवीन ज्वर, अजीर्ण
वातपित्तज्वर
शीतज्वर में अत्युपयोगी
विषमज्वर
२१७३
विषमज्वर, मन्दाग्नि
सन्निपातज जीर्णज्वर
समस्त ज्वर
27
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२५५८
21
For Private And Personal
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२१७४
२१७५ ज्वरार्यगदः २१७६ ज्वरार्यभ्रम
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तरुणज्वर, जीर्णज्वर, २१७७ ज्वराशनिरसः
विषमज्वर ।
समस्त ज्वर ( रेचक है ) २१७८ ज्वरेभसिंहोरस:
१ पहर में ज्वर रोकता
है। ( संखियेका योग है )
रोजाना तिजारी आदि
शीतज्वर
२५६४ ताम्रकः
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२१७९ २५५७ तरुणज्वरारिः
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[ ५४५ ]
मुख्य गुण ज्वर, विसूचिका
८ प्रकार के ज्वर चातुर्थिक, तृतीयक, सन्तत, आमज्वर । दैनिक, तृतीयादि ज्वरों को ३ दिन में नष्ट करता है।
कफपित्तज्वर, शूल । घोर नवीन ज्वर, सन्निपात
ज्वरको २-३ दिन में
ही खो देता है ।
ज्वर ( रेचक है )
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समस्त ज्वर, प्लीहा, यकृत्, शोथ, हिचकी, खांसी, अरुचि । विषमज्वर, दाह, खांसी, वमन
तीव्र कफवातज्वर,
शीतज्वर, हृद्रोग ।
ज्वर
शतपूर्व तथा दाहपूर्व
ज्वर ।
विरेचन होकर ज्वर
नष्ट हो जाता है ।
ज्वर, खांसी, प्लीहा,
पाण्डु
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