Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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२२६१ त्रिफलाकल्कः २२९४ त्रिफलादिकाथः
संख्या प्रयोगनाम
मुख्य गुण
२२५६ त्रिकण्टकादिकाथ: मूत्रकृच्छू, अश्मरी २२५८ त्रिकण्टकादिसिद्धपयः
१२५१ गुडक्षारयोगः १२६४ गुडामलकयोगः -
१७०६ चम्पकादिचूर्णम्
२३३२ पुषीवीजादि
२३३४. २३५० त्रिफलाचूर्णम्
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चूर्णप्रकरणम्
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मूत्रकृच्छ्र
२४२० त्रिकण्टकादि
गुग्गुलुः
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चिकित्सा - पथ
मूत्रकृच्छ्र, शर्करा
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गुग्गुलुप्रकरणम्
श्रम, शूल
मूत्रकृच्छ्र, प्रमेह, रक्तपित्त,
रक्तपित्त,
पित्तज मूत्रकृच्छ्र, अ
श्मरी, शर्करा, बस्ति
शूल ।
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१३ प्रकारके मूत्राघात २४४३ त्रिकण्टकाद्यं घृतम् मूत्रकृच्छ्र, मूत्राघात,
अश्मरी
मूत्रकृच्छ्र
मूत्राघात (पेशाब वन्द होना )
चूर्णप्रकरणम्
२३६१ त्रिफलादीनां योगः मूर्च्छा
मूत्राघात, वातज मूत्रकृच्छ्र, अश्मरी, प्रमेह ।
- प्रदर्शिनी
संख्या प्रयोगनाम
१७७७ चित्रकादिघृतम्
घृतमकरणम्
२५१३ पुषीवीजादि
२११२ जलजामृतरस:
२६१३ तारकेश्वरो रसः
३६ मूर्च्छाधिकारः
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२६१४ २७३० त्रिनेत्राख्यो रसः
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लेपप्रकरणम्
१६४२ घनसारादिवर्तिः
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रसप्रकरणम्
२५७६. ताम्र भस्म प्रयोगः
२५७९
योगः
मुख्य गुण
मूत्राघात, मूत्रग्रन्थि, उष्णवात, बस्ति
कुण्डली
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[ ५५७ ]
मूत्रकृच्छ्र
मिश्रप्रकरणम्
मूत्रकृच्छ्र
रसप्रकरणम्
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मूत्राघात
मूत्रकृच्छ्र
मूत्रमार्ग में लगाने से मूत्रावरोध नष्ट होता है ।
मूर्च्छा, भ्रम मूर्च्छा
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