Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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संख्या प्रयोगनाम २५१५ त्रिफलादियोगः
27
२५१६ २५१९ त्रिफलादिलेप:
२५२०
99
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नस्यप्रकरणम्
१४७६ गान्धार्यादिघृतनस्य आधासीसी
१४७७ गिरिकर्णिकानस्य
मुख्य गुण
केशरञ्जक (५ मास
तक बाल काले
रहते हैं ।)
"
अकालपलित
केशरञ्जन
चिकित्सा - पथ-प्रदर्शिनी
"
१४७९ गुडनागरादिनस्य मस्तकशूल
१४८० गुडादिनस्यम्
आधाशीशी
१४८१
ऊर्ध्वजत्रुगत समस्त
रोग
४९ शीतपितोदर्दाधिकारः
कषायप्रकरणम्
१९१४ गम्भारीदुग्धयोगः शीतपित्त २२९७ त्रिफलादिविरेचनम् शीतपित्तनाशक
विरेचन
कषायप्रकरणम्
१२६१ गुडादिमण्डूरम
भा० ७२
चूर्ण प्रकरणम्
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१६८२ चित्रकादिकाथः
आमशूल
२२९२ त्रिफलादिकाथः शूल, दाह
[ ५६९ ]
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण २०९७ जपापुष्परसनस्यम् सात दिनमें बाल काले हो जाते हैं । २५४९ ताम्बूलादिनस्यम् और कनपटीकी पीड़ा तथा मस्तक
भ्र
और नाक कृमि ।
२५५१ त्वक्पत्रादिनस्यम् पित्तज शिरोरोग
परिणामशूल
१४८९ गगनमुखरसः
१८८८ चन्द्रकान्तरस:
५० शूलाधिकारः
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रसप्रकरणम्
२७८४ त्र्यूषणादिगुटिका शिरोव्यथा
१२५४ गुडदीप्यक योगः
१६९४ चन्दनयोगः
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सूर्यावर्त
सात दिन में सूर्यावर्तादि
को नष्ट करता है ।
चूर्णप्रकरणम्
उदर्द
शीतपित्त
१२६९ गुडूच्यादिचूर्णम् वातशूल, हृदयशूल १२९३ गोमूत्रसिद्ध मण्डूरम् सन्निपातज शूल १६९० चतुस्समचूर्णम् १७२५ चित्रकादि,,
शूल, अग्निमांद्य सर्वशूल, विशेषतः परिणामशूल, यकृत्
शूल, प्लीहशूल,
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