Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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संख्या प्रयोगनाम
११९८ गुडूच्यादिकाथः
१६३० घोषकस्वरसः
१६५२ चन्दनादिकल्कः पैत्तिक प्रदरको ३
दिनमें नष्ट करता है
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१६६१
गर्भिणीका ज्वर गर्भरोधक
१९६२ जपाकुसुमयोगः १९६३ जपादियोगः
गर्भपोषक
१९८१ जीवकपुत्रकवीज- बच्चोंका अल्पायुमें
योगः मर जाना १९८४ ज्योतिष्मतीप्रयोगः रजप्रवर्तक है । २२१० तण्डुलीयकल्कः रक्तप्रदर २२१२ तण्डुलीयमूलप्रयोगः बन्ध्याकरणम् २२३० तिलादिकाथ:
२२३१
काथः
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चिकित्सा- - पथ-प्रदर्शिनी
२२५० त्रायमाणादिकाथः
मुख्य गुण
योनिकी खाज योनिकन्द
२२३२
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२२३४ तुलसी पत्रस्वरसः प्रसवके पश्चात्का
शूल स्तन्यशोधक
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रक्तप्रदर, दाह
नष्टार्तव
चूर्ण प्रकरणम्
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१२४५ गर्भस्तम्भनयोगः गर्भरक्षक है । १२४६ १२४९ गाढीकरणयोगः १२७८ गुदौर्गन्ध्यनाशक
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योनिसङ्कोचक
99
योगः
१२८१ गैरिकादिचूर्णम् १६९८ चन्दनादिचूर्णम् चार प्रकारका प्रदर,
रक्तातिसार, रक्तार्श, रक्तपित्त ।
योनिदुर्गन्ध
योनिकन्द
२०१३ जयादिवटी
२०१९ जीरकादिमोदकः
- २०२२
संख्या
प्रयोगनाम
१७०३ चन्दनाद्यं चूर्णम्
२००४ जीर्णचेलीभस्म
२१९९ टङ्गनादिचूर्णम् २३०८ तालीसगैरिकयोगः वन्ध्याकरणम् २३१७ तिलमूलादिचूर्णम् पुष्परोध, वातगुल्म २३३८ त्रिकटुकादियोगः मक्कलशूल
गुटिकाप्रकरणम्
27 29
२०३१ जीरकाद्यलेहः
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[ ५७३ ]
मुख्य गुण गर्भाशयविकार
अवलेहप्रकरणम्
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पीडित
योनिकी खाज
जरायुशूल, ऋतुदोष, कटिशूल | योनिरोग
सूतिकारोग, ग्रहणी में विशेष उपयोगी
घृतप्रकरणम्
१३६१ गुडूच्यादिघृतम् योनिगत वातविकार
नाशक, गर्भस्थापक
२०३४ जात्यादि
योनिकी दुर्गन्ध
वन्ध्यत्व
२४३८ तुरङ्गगन्धा " २४५९ त्रिवृतादिमिश्रकः योनिशूल
प्रदर, ज्वर, दाह,
क्षय
तैलप्रकरणम्
१३८४ गर्भविलासतैलम् गर्भशूल, शोणितस्राव १३९६ गुडूच्यादि २४७० तिलतैलादियोगः पुत्रोत्पादक
वातज योनिशूल
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