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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra संख्या प्रयोगनाम २५१५ त्रिफलादियोगः 27 २५१६ २५१९ त्रिफलादिलेप: २५२० 99 "" " " "" नस्यप्रकरणम् १४७६ गान्धार्यादिघृतनस्य आधासीसी १४७७ गिरिकर्णिकानस्य मुख्य गुण केशरञ्जक (५ मास तक बाल काले रहते हैं ।) " अकालपलित केशरञ्जन चिकित्सा - पथ-प्रदर्शिनी " १४७९ गुडनागरादिनस्य मस्तकशूल १४८० गुडादिनस्यम् आधाशीशी १४८१ ऊर्ध्वजत्रुगत समस्त रोग ४९ शीतपितोदर्दाधिकारः कषायप्रकरणम् १९१४ गम्भारीदुग्धयोगः शीतपित्त २२९७ त्रिफलादिविरेचनम् शीतपित्तनाशक विरेचन कषायप्रकरणम् १२६१ गुडादिमण्डूरम भा० ७२ चूर्ण प्रकरणम् www.kobatirth.org १६८२ चित्रकादिकाथः आमशूल २२९२ त्रिफलादिकाथः शूल, दाह [ ५६९ ] संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण २०९७ जपापुष्परसनस्यम् सात दिनमें बाल काले हो जाते हैं । २५४९ ताम्बूलादिनस्यम् और कनपटीकी पीड़ा तथा मस्तक भ्र और नाक कृमि । २५५१ त्वक्पत्रादिनस्यम् पित्तज शिरोरोग परिणामशूल १४८९ गगनमुखरसः १८८८ चन्द्रकान्तरस: ५० शूलाधिकारः Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir रसप्रकरणम् २७८४ त्र्यूषणादिगुटिका शिरोव्यथा १२५४ गुडदीप्यक योगः १६९४ चन्दनयोगः For Private And Personal सूर्यावर्त सात दिन में सूर्यावर्तादि को नष्ट करता है । चूर्णप्रकरणम् उदर्द शीतपित्त १२६९ गुडूच्यादिचूर्णम् वातशूल, हृदयशूल १२९३ गोमूत्रसिद्ध मण्डूरम् सन्निपातज शूल १६९० चतुस्समचूर्णम् १७२५ चित्रकादि,, शूल, अग्निमांद्य सर्वशूल, विशेषतः परिणामशूल, यकृत् शूल, प्लीहशूल,
SR No.020115
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages597
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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