Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 578
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra [ ५६६ ] संख्या प्रयोगनाम १३२३ गुग्गुलुप्रयोगः कषायप्रकरणम् २२५२ त्रिकङ्घादिकाथः कफवातजवृद्धि २३०३ त्र्यूषणादिकाथः १३५२ गव्यघृतादियोगः २४५८ त्रिवृतादिघृतम् २२८३ गुग्गुलुप्रकरणम् २२७६ त्रिफलादिकाथः "" घृतप्रकरणम् मुख्य गुण ܕܕ चिकित्सा - पथ-प्रदर्शिनी चूर्णमकरणम् २१९८ टङ्कणप्रयोगः www.kobatirth.org वातकफज अण्डवृद्धि ४६ वृद्धयधिकारः अण्डवृद्धि अन्त्रवृद्धि, व्रण, शोथ और समस्त अन्त्र - विकार कषायप्रकरणम् ११५५ गाङ्गेरुकी स्वरसः शत्रादिके ताजे घावकी १३२२ गुग्गुलुगुटिका वेदना तुरन्त नष्ट करता है । दुर्गन्धित और पीड़ा युक्त व्रण । व्रणशोधक संख्या प्रयोगनाम आसवारिष्टप्रकरणम् पुरानीवातज अण्डवृद्धि १८१३ चविकासव अन्त्रवृद्धि १२८० गृहधूमादिचूर्णम् मेदसे दुष्ट व्रणको सुखाता है 1 कुनख १ - प्रन्थ्यर्बुद भी इसीमें सम्मिलित हैं । ४७ व्रणाधिकारः तैलमकरणम् १३८३ गन्धर्वहस्ततैलम् अन्त्रवृद्धि १८२६ चन्दनादिलेपः २४९० तर्कारिकादिलेप: २५२१ त्रिफलादिलेप: १३२८ लेपप्रकरणम् Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir For Private And Personal चटक: १३२९ गुग्गुलुवटिका १३७१ गौराधं घृतम् मुख्य गुण गुग्गुलुमकरणम् घृतप्रकरणम् पित्तजवृद्धि अण्ड " ܕܪ ܕܕ दुष्ट व्रण, भगन्दर, अर्श, पिडिका व्रणशोधन, रोपण, मलशोधक नाडीव्रणको शुद्ध करता है । नासूर तथा सब प्रकारके व्रणोंको शुद्ध करता है ।

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