Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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[ ५६६ ]
संख्या प्रयोगनाम
१३२३ गुग्गुलुप्रयोगः
कषायप्रकरणम्
२२५२ त्रिकङ्घादिकाथः कफवातजवृद्धि
२३०३ त्र्यूषणादिकाथः
१३५२ गव्यघृतादियोगः २४५८ त्रिवृतादिघृतम्
२२८३
गुग्गुलुप्रकरणम्
२२७६ त्रिफलादिकाथः
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घृतप्रकरणम्
मुख्य गुण
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चिकित्सा - पथ-प्रदर्शिनी
चूर्णमकरणम्
२१९८ टङ्कणप्रयोगः
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वातकफज अण्डवृद्धि
४६ वृद्धयधिकारः
अण्डवृद्धि
अन्त्रवृद्धि, व्रण, शोथ
और समस्त अन्त्र -
विकार
कषायप्रकरणम्
११५५ गाङ्गेरुकी स्वरसः शत्रादिके ताजे घावकी १३२२ गुग्गुलुगुटिका
वेदना तुरन्त नष्ट करता है ।
दुर्गन्धित और पीड़ा
युक्त व्रण ।
व्रणशोधक
संख्या प्रयोगनाम
आसवारिष्टप्रकरणम्
पुरानीवातज अण्डवृद्धि १८१३ चविकासव अन्त्रवृद्धि
१२८० गृहधूमादिचूर्णम् मेदसे दुष्ट व्रणको
सुखाता
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१ - प्रन्थ्यर्बुद भी इसीमें सम्मिलित हैं ।
४७ व्रणाधिकारः
तैलमकरणम्
१३८३ गन्धर्वहस्ततैलम् अन्त्रवृद्धि
१८२६ चन्दनादिलेपः
२४९० तर्कारिकादिलेप:
२५२१ त्रिफलादिलेप:
१३२८
लेपप्रकरणम्
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चटक:
१३२९ गुग्गुलुवटिका
१३७१ गौराधं घृतम्
मुख्य गुण
गुग्गुलुमकरणम्
घृतप्रकरणम्
पित्तजवृद्धि
अण्ड "
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दुष्ट व्रण, भगन्दर, अर्श, पिडिका
व्रणशोधन, रोपण,
मलशोधक
नाडीव्रणको शुद्ध
करता है ।
नासूर तथा सब प्रकारके व्रणोंको शुद्ध करता है ।
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