Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 560
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir [५४८] चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी vvwwwwwwwwwwwwwwwwwAAAAAAmwwnwor AAAA/AnnnnnnAAAAAA संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण २६ नेत्ररोगाधिकारः कषायप्रकरणम् २४४६ त्रिफला घृतम् त्रिदोषज तिमिर ११८० गुडूच्यादिकाथः समस्त नेत्ररोग २४४८ ,, , नेत्रबलवर्द्धक १६८३ चित्रकादि , तिमिर २४५१ , , तिमिर.नक्तान्थ्य (र२२६२ त्रिफलाकषायः नेत्ररोग,मुखरोग,कामला तौंधा) स्राव, खाज, २२६३ , काथः पित्ताभिष्यन्द, दाह नेत्रकी कलुषता, २२६४ , सूजन कषायता, सूर्य, और २२६५ , , तिमिर अग्नि इत्यादिसे हत २२९० त्रिफलादि ,, अन्धता दृष्टि । २२९८ , विरेच वातज तिमिर २४५३ त्रिफलाद्य , तिमिर २४५४ ,, , रक्तविकार रक्तस्रावके चूर्णप्रकरणम् कारण उत्पन्न नेत्ररोग, १२९७ गोरोचनादिचूर्णम् लगण(पलककीफुसी) नक्तान्ध्य, तिमिर, २३६६ त्रिफलायोगः समस्त नेत्ररोग मन्ददृष्टि,धूपमेंआंख -- अवलेहप्रकरणम् न खुलना ( चौंद लगना) आदि। २०३० जीरकखण्डः नेत्रोंको बलदेता है। | २४५७ त्रिफलादिघृतं (महा) आसन्नदृष्टि,दूरदृष्टि, २४२९ त्रिफलापाकः समस्तनेत्र रोग, शिरोरोग, मन्ददृष्टि,और अन्य समस्त नेत्ररोग । घृतप्रकरणम् १३६८ गोघृततर्पणम् तिमिर, अभिष्यन्द, १४०१ गोमयाद्यतैलम् तिमिर (नस्य) अश्रुस्राव २४७८ त्रिफलाद्यं , कफज तिमिर २०४३ जीवनाद्यवृतम् तिमिर २४४४ त्रिफला , रतौंधा, नेत्रत्राव, लेपप्रकरणम् तिमिर । १४२१ गिरिकर्णिपुष्पलेपः कुकूणक २४४५ , , तिमिर, स्राव, काच, १८२८ चन्दनादिलेपः अभिष्यन्द, दाह, सूजन । तैलप्रकरणम् तोद For Private And Personal

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