Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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[५४६]
चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
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nnnnnnnrore/nAnywarninAnnropppronpronprnorari ,
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम । मुख्य गुण २५६८ ताम्रपर्पटी कफवातज्वर ३ दिनमें २७३९ त्रिपुरारिरसः जलदोषज ज्वर, शोथ, नष्ट हो जाता है।
अतिसार. तिल्ली। २५७८ ताम्रभस्मयोगः । कफजज्वर
२७५० त्रिफलालौहः सर्वज्वर २६०५ ताम्रामृताख्यं वर, प्लीह, कास, .
२७५५ त्रिभुवनकीर्ति सन्निपात, सर्वञ्चर रसायनम् पाण्डु, अर्श २६३५ तालकाकोरसः तृतीयक,चातुर्थिक वर २७६३ त्रैलोक्य चिं. म. जीर्णचर, जलदोष, २६३७ तालकादिज्वराङ्कु. शीतवर
खांसी। २६३८ , शीतज्वर १ दिनमें २७६८ त्रैलोक्यडम्बर । नवज्वर
खोता है।
। २७७७ त्रैलोक्य सुन्दर सन्निपात २६४२ तालकेश्वररसः शीतञ्चर २६८० तालकेश्वररसः बारीके ज्वर (म्लेरिया) २७७८ "
पसीना लाकर ज्वर ।
उतारता है। २७०२ तुत्थादिकञ्चराङ्गशः विषमज्वर २७१७ त्रिगुणाख्योरसः सन्निपातज्वर २७८१ न्याहिकारिग्सः तृतीयकादि वर २७२४ त्रिनेत्ररसः २७३३ त्रिपुरभैरवरसः नवज्वर, विष्टम्भ, कृमि २७३६ ,, , सर्वज्वर
मिश्रप्रकरणम् २७३७ , ,
सन्निपात, कफ, वायु, २१८५ जलधाराप्रयोगः ज्वरका तीन सन्ताप शिरशूल, उदरपीड़ा
२३ तृष्णाधिकारः कषायप्रकरणम्
लेपप्रकरणम् २२३५ तृष्णानिग्रहणो
| १८२७ चन्दनादिलेपः तृष्णा कषायदशकः तृष्णा चूर्णप्रकरणम्
रसप्रकरणम् २००१ जीरकादिचूर्णम् तृष्णा
२७०५ तृष्णाहारीरसः भयङ्कर तृष्णा २००२ , " _
२७०६ तृष्णाछर्दिहरोरसः तृष्णा, छर्दि गुटिकाप्रकरणम् २३९३ तृष्णानीगुटी प्रबल तृष्णाको तुरन्त
मिश्रकरणम् शान्त करती है। २८४८ तृष्णानाशकानम् पुरानी तृष्णा, वमन ।
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