Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
[५३७]
ज्वर,
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण १६०३ ग्रहणीकपाटोरसः ग्रहणी, शोथ, ज्वर १८७६ चण्डसं तहगदैक- संग्रहणी, अतिसार, १६०४ , , , सैकड़ों योगोंसे आराम कपाटरसः
न होनेवाली भयङ्कर १८८२ चतुर्मूर्तिरसः । ग्रहणी, अतिसार, संग्रहणी, आम,शूल,
विषमञ्चर ज्वर, शोथ । १९२१ चित्राम्बररसः रक्तग्रहणी आम, शूल
ग्रहणी | २११६ जातीफलादिग्रहणी१६०६ ग्रहणीगजकेसरी रक्तग्रहणी, पुराना कपाटरसः आमरक्त और शूलयुक्त रक्तातिसार, शूल,
संग्रहणी। आम ।
२११८ जातिफलाद्यावटिका पुरानी संग्रहणी, आम, १६०७ , , , ग्रहणी (मलशीघ्र बांध
असाध्य संग्रहणी। देता है, अफारा नहीं | २११९ जीरकादिचूर्णम् ग्रहणी, अतिसार आम लाता)
(शीघ्र गुणकारी है) १६०८ ग्रहणीगजपश्चानन ग्रहणी
२५५६ तक्रवटी संग्रहणी, शोथ, पाण्डु १६०९ ग्रहणीगजेन्द्रवटिका अनेक प्रकारकी ग्र
२५९४ ताम्रयोगः ग्रहणी, शूल, क्षय, हणी, ज्वरातिसार,
अम्लपित्त गुदभ्रंश ।
| २५९६ ताम्ररसायनम् ग्रहणी, अर्श, अम्लपित्त १६१० ग्रहणीवज्रकपाटरसः ग्रहणी
२७५३ त्रिफलालौहः ग्रहणी, अर्श, शोथ
| २७६२ त्रिसुन्दरो रसः उपद्रवयुक्त ग्रहणी १६१२ ग्रहणीशार्दूलचूर्णम् ग्रहणी, अतिसार, ज्वर,
तृष्णा, विशेषतः शोथ और जीर्णज्वर ।
मिश्रप्रकरणम् १६१३ ग्रहणीशार्दूलरसः प्रसूताकी ग्रहणी, १६२४ ग्रहणीरोगे पथ्यादि
कास, आम, शूल । | १६२५ ग्रहण्यामाहारकल्पना अनेक प्रकारके पथ्य १६१४ ग्रहणीहररसः ग्रहणी
२७९१ तक्रपानम् १६१५ ग्रहण्यारिरसः ग्रहणी, पुराना रक्ता- २७९२ , "
तिसार, शूल, ज्वरादि | २७९५ तकसेवनविधि:
भा० ६८
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