Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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[५३६]
चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण अवलेहप्रकरणम्
रसप्रकरणम् १३४६ ग्रहणीविजयावलेहः सामातिसार, पक्काति- १४९१ गगनसुन्दरो रसः ग्रहणी,ज्वर,क्षय,अर्श
सार,वेदनायुक्त प्रवा- १४९२ , , , ग्रहणी हिका, पुरानी संग्र- १४९८ गङ्गाधरचूर्ण, हणी, अर्श १५५१ गन्धाश्मपर्पटी
ग्रहणी, आमशूल, अर्श
१५८८ ग्रहणीकामदघृतप्रकरणम्
वारणसिंहः भयङ्करसंग्रहणी, ज्वर १७६४ चन्दनायं घृतम् पित्तजग्रहणी
विसूचिका,अग्निमांद्य, १७६७ चव्या , प्रवाहिका, गुदभ्रंश,
शूल, सामग्रहणी, रक्तगुदशूल, बंक्षणशूल
ग्रहणी १७६८ चाङ्गेरी .. संग्रहणी, अफारा, ज्वर १७६९
१५८९ ग्रहणीकपर्दपोटली वातप्रधान ग्रहणी .,
संग्रहणी, गुदभ्रंश, ,
१५९० ग्रहणीकपाटरसः सामग्रहणी, रक्तग्रहअफारा, गुदशूल.
णी, शूल प्रवाहिका
त्रिदोषज ग्रहणी १७७२ , , ग्रहणी, शूल, गुद
१५९४ , " ,
ग्रहणी भ्रंश, ज्वर १७७३ ,
सामग्रहणी,आमातिसार ग्रहणी, पार्वशूल,गुल्म , १५९५ , ,, ,
ग्रहणी, गुल्म, क्षय १७७४ चित्रक
ग्रहणी, शोथ, शूल,
१५९७ ,, वज्रकपाट सर्वग्रहणी, आमातिसार
। १५९८ संग्रहग्रहणीकपाट तैलप्रकरणम्
रसः ( वृहद ) सर्व प्रकारकोग्रहणी, १४०३ ग्रहणीमिहिरतैलम् अतिसार, ग्रहणी,
चर, अरुचि १५९९ ग्रहणीकपाटोरसः प्रबलग्रहणी १६०० " "
ग्रहणी,अतिसार,शूल, आसवारिष्टप्रकरणम्
अरुचि, ज्वर (२-३ १८१४ चित्रकाद्योरिष्टः संग्रहणी, शोथ, अर्श,
बारमें ही लाभ हो पाण्ड
जाता है) २४८४ तक्रारिष्टः संग्रहणी, शोथ,
। १६०१ , , ,
सर्व प्रकारकी ग्रहणी अग्निमांद्य
। १६०२ ,, , , रक्तग्रहणी, रक्तातिसार
उदरपीड़ा
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