Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 551
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी [५३९] संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण | संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण रसप्रकरणम् । १९२९ चिन्तामणिरसः ज्वरातिसार, शूल, अफारा १४९० गगनसुन्दरो रसः रक्तातिसार, ज्वर र १९३१ , , , , | २७०४ तृप्तिसागररसः ज्वर, सन्निपातातिसार १८९२ चन्द्रप्रभावटी त्रिदोषज ज्वरातिसार २२ ज्वराधिकारः कषायप्रकरणम् १२०० गुडूचीस्वरसः- उपद्रवयुक्त पित्तज्वर ११५७ गायत्र्यादिकषायः- रक्तदोषज ज्वर १२०१ १२०१ , ज्वरपाचक ११६५ गुडूचिकादि सर्व ज्वर, छर्दि, तृषा, १२०२ वातज्वर प्रतिश्याय, दाह, १२०३ अरुचि १२०४ १९६७ गुडूचीस्वरसः- कफज जीर्णज्वर, ! १२०५ प्लीहा, कास १२०६ गुडूच्यादिगणः सर्व ज्वरनाशक, दीपन ११७६ , रात्रिको आनेवाला १२०७ गुडूच्यादिपुटपाकः पुराना कष्टसाध्यपुराना ज्वर, वातपित्तज्वर पित्तज्वर, तृष्णा, छर्दि, १२२६ प्रन्थिकादिकाथः- सन्निपात, पसीना, शूल । प्रलाप, शूल, शीत, पित्तञ्चर सूतिकारोग ११८१ तृतीयक ज्वर १२२७ ग्रन्थिकादिकाथः सन्निपात सम्बन्धी ११८२ वातज्वर वातविकार १९८३ पित्तज्वर, शोष, भ्रम १२२८ , तीत्रवातज्वर सन्निपात, खांसी, १६२६ घनचन्दनादि पित्तज्वर, छर्दि, तृषा, प्यास, दाह मलमूत्रादिका अवरोध, तन्द्रा १६२८ घनादि शीतज्वर ११८७ वातज्वर १६४६ चतुःषष्टिककाथः वातज्वर, वातपीड़ा ११८८ , पित्तकफज्वर : १६५७ चन्दनादिक्वाथः । पित्तजज्वर ११९२. , सर्वधर ज्वर वातज्वर पित्तकफज्वर, दाह, १२९७ विषमज्वर तृषा, वमन । ११७७ ११७८ ११८४ दाह For Private And Personal

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