Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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संख्या प्रयोगनाम
१९८६ जठराग्निवर्द्धनचू. १९९३ जरणादिचूर्णम् २००९ ज्वालामुखी चूर्णम् २३८६ स्वगाद्यमुद्वर्तनम्
१३०१ गन्धकवटी
१३०२
72
चूर्णप्रकरणम्
१७२६ चित्रकादिचूर्णम् अग्निमांद्य, पसली -
शूल, गुल्म, अर्श जठराग्निवर्द्धक
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22
१३०३
१३०४ १३०५ गन्धकादिवटी
२०२१ जीरकाद्या गुटिका
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गुटिकाप्रकरणम्
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१ अनिमांद्यविसूचिकाजीर्णाधिकारः
संख्या प्रयोगनाम
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भा० ६६
चिकित्सा - पथ-प्रदर्शिनी
मुख्य गुण
२४३० त्रिफलावलेह :
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पाचक, दीपन, रोचक अग्निदीपक है हैज़े में होने वाली हाथ पैरों की ऐंठन
रोचक, पाचक स्वादिष्ट हैं, हैजा, अतिसार, अजीर्ण |
२४१० त्रिवृतादि मोदक: अग्निमांध
कोटबद्धता, अजीर्ण
अग्निदीपक हैं ।
अवलेहप्रकरणम्
विसूचिका अजीर्ण, अलसक,
विसूचिका, अफारा
भस्मक
घृतप्रकरणम्
२०३६ जीरकघृतम् अग्निवर्धक, अर्शनाशक २४६३ त्र्यूषणाद्यं घृतम् मन्दाग्नि
१३७९ गन्धकतै लम्
१८०७ चित्रकाद्यं तैलम्
१८०९ चुकादि
१८१०
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तैलप्रकरणम्
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१८१५ चुक्रसन्धानम् २४८३ तक्रारिष्टः
मुख्य गुण
आसवारिष्टप्रकरणम्
अग्निदीपक
प्रवृद्धशूल
विषूचिका में होने वाली
पै
विसूचिका
१८७७ चण्डाग्नि रसः
लेपप्रकरणम्
२४९६ तालमूलादि लेपः विसूचिका
अञ्जनप्रकरणम्
अग्निदीपक है
अग्निदीपक, रोचक
१४५९ गरुडाञ्जनम् अजीर्ण
१४६७ गुटिकाञ्जनम् विसूचिका
रसप्रकरणम्
अग्निदीपक
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