Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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[ ३६२]
भारत-भैषज्य-रत्नाकरः ।
[तकारादि
कूटकर २ द्रोण ( ३२ सेर ) शुद्ध पानीमें पका- (२४२७) त्र्यूषणादिगुटिका ( गुग्गुलः ) इये और पकते समय उसमें १६ पल ( ८०
(र. र. । वात.) तोले ) शुद्ध गूगल कपड़ेकी पोटलीमें बांधकर व्यूषणं पिप्पलीमूलं चित्रकं रजनीद्वयम् । डाल दीजिए । जब २५ पल पानी शेष रहे तो अजमोदां यवानी च पथ्या तुल्या सुवर्चलैः ।। काथको बारीक छलनी या धोतरसे छानकर | सैन्धवं वाकुचीवीजं यवक्षारं विडं वचाम् । पुनः पकाइये ( यदि कपड़े में कुछ प्रत्येकञ्च त्रिमाषन्तु सर्वतुल्यं च गुग्गुलुम् ॥ गूगल रह गया हो तो उसे निकालकर इस अम्लवेतसकर्षकं किश्चिदाढयेन कुट्टयेत् । काथमें ही डाल दीजिय । ) जब काथ गाढ़ा हो गुटिका च हिता वाते सामे सन्ध्यस्थिमज्जगे।। जाय तो उसमें गिलोय, बायबिडंग, त्रिकुटा (सोंठ दृढं करोति भग्नश्च जठरानलदीपिनी ।। मिर्च और पीपल )का १-१ पल (५-५ तोले) त्रिकुटा ( सोंठ, मिर्च, पीपल ), पीपलामूल, चूर्ण मिला दीजिए।
चीता, हल्दी, दारुहल्दी, अजमोद, अजवायन,
हर्र, काला नमक ( सञ्चल ), सेंवा, बाबची, इसे यथोचित मात्रानुसार सेवन करनेसे
यवक्षार, बायबिडंग और बचका चूर्ण ३-३ वातरक्त, कुष्ट, श्वित्र ( सफेदकोढ़ ), गुल्म और
माशे तथा इन सबके बराबर शुद्र गूगल प्रमेह नष्ट होता तथा बल, बुद्धि, स्मरणशक्ति,
और ११ तोला अमलबेतका चूर्ण एकत्र मिलाकर ज्ञान, तेज और आयुकी वृद्धि होती है।
घृत डालकर अच्छी तरह कूटकर गोलियां बना (२४२६) त्र्यूषणादिगुग्गुलः
लीजिए। ( भा. प्र. । ख. २ मेदो.)
इनके सेवनसे आमवात, सन्धि अस्थि और यूषणानिवनवेल्लवचाभि
मज्जागत वायु नष्ट होती तथा टूटी हुई हड्डीका भक्षयन्समघृतं महिषाक्षम् ।
जोड़ मजबूत और अग्निदीप्त होती है।
(२४२८) न्यूषणादिगुटिका ( गुग्गुलुः ) आशु हन्ति कफमारुतमेदो
(च. द. । प्रमे.) दोषजान्बलवतोऽपि विकारान्॥
त्रिकटु त्रिफला चूर्ण तुल्ययुक्तं तु गुग्गुलुम् । त्रिकुटा ( सोंठ, मिर्च, पीपल ), चीता, |
गोक्षुरकाथसंयुक्तं गुटिकां कारयेद्भिषक् । सुगन्धवाला, बायबिडंग और बचका चूर्ण १-१
दोषकालबलापेझी भक्षये चानुलो मेकीन् । भाग और गूगल इन सबके बराबर लेकर घी न चात्र परिहारोस्ति कर्मकर्यायथेप्सितम् ॥ डालकर कुटवा लीजिए।
प्रमेहान्मूत्रघातांश्च बालरोगोदरं जयेत् । इसके सेवनसे कफज, वातज और मेदज त्रिकुटा ( सोंठ, मिर्च, पीपल ), हर्र, बहेड़ा, बलवान रोग भी अत्यन्त शीघ्र शान्त हो जाते हैं। और आमलेका चूर्ण १-१ भाग तथा शुद्ध गूगल
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