Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 02
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 519
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra रसप्रकरणम् ] ग्रन्थिकपुष्करमूलघनस्य तिक्तककट्फलकेन्द्रयवस्य । त्वग्दलमेघनीलोत्पलकस्य बालमूलालसजातिफलस्य ॥ द्रव्यमिदं पिचुमात्रक्रमेण चाष्टपलानि तथा यसकस्य । अष्टपलन्तु शिलाजतुकस्य शुभया कृतं द्वयक्षसमम् ॥ शुभवासरखादन् कालशुभम् मुखदारुणरोगशिरोव्यथनम् । हन्ति भ्रमं पटलं तिमिरच पिष्टकशुक्रमथार्बुदकञ्च || पलितहरं सुखकामकामकरं www.kobatirth.org द्वितीयो भागः । युवतीरमणे पित्र दुग्धसमम् ॥ सोंठ, मिर्च, पीपल, अतीस, जवाखार, सज्जीखार, हर्र, बहेड़ा, आमला, निसोत, दन्तीमूल, बासा, लोध, तगर, चन्दन, गजपील, सुगन्धवाला, गिलोय, पीपलामूल, पोखरमूल, मोथा, कुटकी, कायफल, इन्द्रजौ, दालचीनी, तेजपात, नागरमोथा, नीलकमल, कच्ची मूली, शुद्ध हरताल और जायफल । इनमें से प्रत्येकका चूर्ण १-१ कर्ष ( ११ - १ | तोला ); तथा आठ आठ पल शिलाजीत और लोहभस्म, एवं २ कर्ष सलोचनका चूर्ण लेकर सबको एकत्र पानी के साथ मर्दन करके गोलियां बना लीजिए | इनके सेवन से मुखरोग, शिरोरोग भ्रम तथा आंखों के पटल, तिमिर, पिष्टक, शुक्ररोग और अर्बुद तथा पलितरोग नष्ट होकर कामशक्ति चढ़ती है। Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir [ ५०७ ] यदि इन गोलियोंको कामशक्तिकी वृद्धिके लिए सेवन करना हो तो दूधके साथ खाना चाहिए । (२७८५) त्र्यूषणादिमण्डूरम् ( र. का. . । अम्लपित्त ) पृथक् त्र्यूषणमक्षांशं वन्ध्या लोहोद्भवं पलम् । प्रत्येकं त्रिफलायाश्च कर्षद्वयमपि क्षिपेत् ॥ प्रसारण्याः पलायाश्च वीजपूरच्छदस्य च । सवीज पीतवल्लयाश्च लतायाश्चोरकस्य च ॥ निपीडितं रसं तेषां पृथगष्टपलं पलम् । मण्डूरस्य पलान्यत्र चत्वारिंशच्च दापयेत् ॥ सर्वाण्येकत्र विधिवत्क्वाथ्यमानं विशोषयेत् । ततो मण्डूरमादाय श्लक्ष्णं चूर्णीकृतं तथा ॥ हिंस्वष्टमाशकं व्योषं प्रत्येकं वेदभाषकम् । धात्र्याः पञ्चपलान्यत्र चूर्ण दद्याच्च तानि वै ।। पृथक् पलानि पञ्चैव शर्करामधुनोरपि । पाषाणभेदचूर्ण तु पलानां पञ्चकं हरेत् ॥ धान्यजीरक सिद्धेन सर्पिषा प्राविमर्दयेत् । एतन्मण्डूरमादौ तु मध्येऽन्ते भोजनस्य च ॥ कुर्वन्पयोऽनुपानेन शूली शूलं त्रिदोषजम् । परिणामकृतं सर्वे हन्यादेतन्न संशयः ॥ अम्लपित्तविकारेषु परिणामभवेषु च । ज्यूषणाद्यमिदं ख्यातं भैषज्यममृतोपमम् || सोंठ, मिर्च और पीपल १ । १ । तोला ; बांझककोडेकी जड़ और लोह भस्म ५ - ५ तोले; तथा हर्र, बहेड़ा और आमला २० - २ || तोले । प्रसारिणी ( गन्धेलघास ) बिजौरे के पत्ते मालकंगनीके बीज और चोरपुष्पीका स्वरस ८-८ पल (४०-४० तोले ) तथा शुद्ध मण्डूरका चूर्ण ४० पल लेकर सबको एकत्र मिलाकर मन्दाग्निपर For Private And Personal

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