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सूत्रस्थानं भाषाटीकासमेतम् ।
(१७) शुद्धयादिस्नेहनस्वेदरेकास्थापननावनम् ॥
धूमगण्डषक्सेकतृप्तियन्त्रकशस्त्रकम्॥३७॥ शोधनादिगणसंग्रह १५ स्नेहविधि १६ स्वेदविधि १७ वमनविरेचनविधि १८ बस्तिविधि १९ नस्यविधि २० धूमपानविधि २१ गंडूषादिविधि २२ आश्चोतनांजनविधि २३ तर्पण पुटपाकविधि २४ यंत्रविधि २५ शस्त्रविधि २६॥
शिराविधिः शल्यविधिः शस्त्रक्षाराग्निकर्मकाः ॥
सूत्रस्थान इमेऽध्यायाग्निशत्, शारीरमुच्यते ॥ ३८॥ शिराव्याधविधि २७ शल्याहरणविधि २८ शस्त्रकर्मविधि २९ क्षाराग्निकर्मविधि ३० ऐसे इन ३० तीस अध्यायोंको सूत्रस्थान कहतेहैं ।
अब शारीरस्थानको कहतेहैं । गर्भावक्रान्तितद्वयापदङ्गमर्मविभागिकम् ॥
विकृतितज षष्ठं, निदानं सार्वरोगिकम् ॥ ३९॥ गर्भावक्रांतिशारीर १ गर्भव्यापच्छारीर २ अंगविभागशारीर ३ मर्मविभागशारीरं ४ विकृतिविज्ञानीयशारीर ५ दूतादिविज्ञानीयशारीर ६ इन छ: अध्यायोंको शारीरस्थान कहतेहैं । और सार्वरोगिकनिदान १॥
ज्वरासृक्छासयक्ष्मादिमदाद्यशोतिसारिणाम्॥ .
सूत्राघातप्रमेहाणां विद्रध्यायुदरस्य च ॥४०॥ ज्वरनिदान २ रक्तपित्तकासनिदान ३ श्वासहिमानिदान ४ राजयक्ष्मादिनिदान ५ मदात्ययनिदान ६ अर्शीनिदान ७ अतीसारग्रहणीनिदान ८ मूत्राघातनिदान ९ प्रमेहनिदान १० विद्रधिवृद्धिगुल्मनिदान ११ उदरनिदान १२ ॥
पाण्डुकुष्ठानिलार्तानां वातानस्य च षोडश, ॥
चिकित्सितं ज्वरे रक्ते कासे श्वासे च यक्ष्माण ॥४१॥ पांडशोफविसर्पनिदान १३ कुष्ठश्वित्रकृमिनिदान १४ वातव्याधिनिदान १५ वातशोणितनि- . दान १६ ऐसे सोलह १६ अध्यायोंको निदानस्थान कहतेहैं ।। ज्वरचिकित्सित १ रक्तपित्तचिकित्सित २ कासचिकित्सित ३ श्वासहिकाचिकित्सित ४ राजयक्ष्मादिचिकित्सित ५ ॥
वमौ मदात्ययेऽर्शःसु विशि द्वौद्वौ च मूनिते ॥
विद्रधौ गुल्मजठरपाण्डुशोफविसर्पिषु ॥ ४२ ॥ ___ छर्दिहृद्रोगचिकित्सित ६ मदात्ययचिकित्सित ७ अर्शश्चिकित्सित ८ अतिसारचिकित्सित ९ ग्रहणीदोषचिकित्सित १० मूत्राघातचिकित्सित ११ प्रमेहचिकित्सित १२ विद्रधिचिकित्सित
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