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आप्तमीमांसा
[परिच्छेद-१ को छोड़कर ब्रह्ममें विलीन हो जाता है। जैसे कि नदियोंका जल समुद्रमें मिलनेपर अपनी पृथक् सत्ताको खो देता है । 'दृष्टव्योऽयमात्मा श्रोतव्यो मन्तव्यो निदिध्यासितव्यः' इस आत्मा ( ब्रह्म ) का दर्शन, श्रवण, मनन और निदिध्यासन करना चाहिये, इत्यादि वेदवाक्योंके द्वारा विधिरूप ब्रह्मका प्रतिपादन किया गया है । इसलिये ब्रह्मके अतिरिक्त अन्य यज्ञ आदिका विधान वेद विहित नहीं है, यह विधिवादियोंका मत है।
उक्त मतोंमें परस्परमें विरोध तो है ही, साथ ही एक मत दूसरे मतका खण्डन भी करता है। भावनावादी भाट्ट कहता है कि 'यजेत्' क्रियापदका अर्थ नियोग नहीं हो सकता है। नियोग अर्थ करनेपर अनेक दोष आते हैं । नियोग प्रमाण है अथवा प्रमेय है, उभयरूप है अथवा दोनों रूपोंसे रहित है। इसीप्रकार नियोग शब्दका व्यापार है अथवा पुरुषका व्यापार है, दोनोंका व्यापार है अथवा दोनोंके व्यापारसे रहित है। इत्यादि प्रकारसे नियोगके विषयमें अनेक विकल्प उत्पन्न होते हैं । ___ यदि नियोग प्रमाणरूप है तो प्रमाणको चैतन्यरूप होनेसे विधि ( चैतन्यरूप ब्रह्म) ही वाक्यका अर्थ हआ। यदि शब्द व्यापारका नाम अथवा पुरुष व्यापारका नाम नियोग है, तो शब्दभावना या अर्थभावना ही नियोगका अर्थ होनेसे भामतकी ही सिद्धि होती है। नियोगका स्वभाव यदि प्रवृत्ति करानेका है तो जैसे वह प्राभाकरोंको यज्ञमें प्रवृत्त कराता है वैसे ही बौद्ध आदिको भी प्रवृत्त कराना चाहिये । और यदि नियोगका स्वभाव प्रवृत्ति करानेका नहीं है, तो वह वाक्यका अर्थ हो ही नहीं सकता । नियोग फलरहित है, अथवा फल सहित । यदि फलरहित है तो बुद्धिमान पूरुष नियोग द्वारा कार्य में प्रवत्ति कैसे करेंगे । और यदि नियोग फलसहित है, तो फल ही प्रवृत्तिका कारण हुआ, न कि नियोग । इत्यादि प्रकारसे नियोगको वाक्यार्थ मानने में अनेक दोष आते हैं।
जो दोष नियोगको वाक्यार्थ मानने में आते हैं वही दोष विधिको वाक्यार्थ मानने में भी आते हैं। विधि प्रमाणरूप है या प्रमेयरूप, शब्द व्यापाररूप है या अर्थव्यापाररूप । विधिको प्रमाण मानने में प्रमेय भिन्न मानना पड़ेगा। किन्तु वेदान्त मतमें ब्रह्मके अतिरिक्त अन्य किसी पदार्थकी सत्ता ही नहीं है । विधिको प्रमेयरूप मानने में भी यही दोष है । विधिको शब्दव्यापाररूप मानने में शब्दभावनारूप और पुरुषव्यापाररूप मानने में अर्थभावनारूप अर्थका प्रतिपादन होनेसे भाट्टमत की ही सिद्धि होती है। विधिका स्वभाव प्रवृत्ति करानेका है या नहीं। यदि
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