Book Title: Abhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Author(s): Darshitkalashreeji
Publisher: Raj Rajendra Prakashan Trust
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[8]... प्रथम परिच्छेद
अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन
आचार्य श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरि की गुरुपरम्परा
श्री सौधर्मबृहत्तपागच्छीय गुर्वावली/पट्टावली
(शासनपति श्री महावीर स्वामीजी)
क्रम आचार्य का नाम
क्रम आचार्य का नाम
क्रम आचार्य का नाम 1. श्री सुधर्मास्वामीजी
25. श्री नरसिंहसूरिजी
49. श्री देवसुन्दरसूरिजी श्री जम्बूस्वामीजी
श्री समुद्रसूरिजी
श्री सोमसुन्दरसूरिजी श्री प्रभवस्वामीजी
श्री मानदेवसूरिजी
51. श्री मुनिसुन्दरसूरिजी श्री शय्यंभवसूरिजी
श्री विबुधप्रभसूरिजी
52. श्री रत्नशेखरसूरिजी श्री यशोभद्रसूरिजी 29. श्री जयानन्दसूरिजी
53. श्री लक्ष्मीसागरसूरिजी श्री संभूतिविजयजी
श्री रविप्रभसूरिजी
S4. श्री सुमतिसाधुसूरिजी श्री भद्रबाहुस्वामीजी
श्री यशोदेवसूरिजी
55. श्री हेमविमलसूरिजी श्री स्थूलिभद्रसूरिजी
श्री प्रद्युम्नसूरिजी
56. श्री आनन्दविमलसूरिजी श्री आर्य महागिरिजी
श्री मानदेवसूरिजी
57. श्री विजयदानसूरिजी श्री आर्य सुहस्तिसूरिजी
श्री विमलचन्द्रसूरिजी
58. श्री हीरविजयसूरिजी श्री सुस्थितसूरिजी 35. श्री उद्योतनसूरिजी
59. श्री विजय सेनसूरिजी श्री सुप्रतिबद्धसूरिजी
श्री सर्वदेवसूरिजी
श्री विजय देवसूरिजी श्री इन्द्रदिन्नसूरिजी
श्री देवसूरिजी
श्री विजय सिंहसूरिजी श्री दिन्नसूरीजी
श्री सर्वदेवसूरिजी
62. श्री विजय प्रभसूरिजी श्री सिंहगिरिसूरिजी
श्री यशोभद्रसूरिजी
63. श्री विजय रत्नसूरिजी श्री वज्रस्वामीजी
(श्री नेमिचन्द्रसूरिजी)
श्री क्षमासूरिजी श्री वज्रसेनसूरिजी
श्री मुनिचन्द्रसूरिजी
श्री विजय देवेन्द्रसूरिजी 15. श्री चन्दसूरिजी
श्री अजितदेवसूरिजी
66. श्री विजय कल्याणसूरिजी श्री समन्तभद्रसूरिजी
श्री विजयसिंहसूरिजी
श्री विजय प्रमोदसूरिजी श्री वृद्धदेवसूरिजी ___ श्री सोमप्रभसूरिजी
श्री विजय राजेन्दसूरिजी श्री प्रद्योतनसूरिजी
(श्री मणिरत्नसूरिजी) 69. श्री विजय धनचन्द्रसूरिजी श्री मानदेवसूरिजी
श्री जगच्चन्द्रसूरिजी
70. श्री विजय भूपेन्द्रसूरिजी श्री मानतुङ्गसूरिजी 45. श्री देवेन्द्रसूरिजी
71. श्री विजय यतीन्द्रसूरिजी श्री वीरसूरिजी
श्री विद्यानन्दसूरिजी
72. श्री विजय विद्याचन्द्रसूरिजी श्री विजयदेवसूरिजी 46. श्री धर्मघोषसूरिजी
73. वर्तमान श्रीमद्विजय श्री देवानन्दसूरिजी 47. श्री सोमप्रभसूरिजी
जयन्तसेनसूरिजी 24. श्री विक्रमसूरिजी
48. श्री सोमतिलकसूरिजी आचार्य श्रीमद्विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी के क्रियोद्धारकत्व के विषय में कुछ लोगों में ऐसा भ्रम है कि आपके कोई गुरु नहीं थे, परन्तु यह सत्य नहीं है। आपके गुरु आचार्य श्री प्रमोदसूरिजी थे जैसा कि पूर्व में दीक्षा-प्रकरण में उल्लेख किया गया है। इनका संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित हैश्री विजय प्रमोदसूरिजी :
वृद्धावस्था में जंधाबल क्षीण होने से आपने आहोर में स्थिरवास भगवान् महावीर के प्रवर्तमान शासन में गच्छाधिपति के किया था ।आपके रत्नविजयजी और ऋद्धिविजयजी दो शिष्य थे। जिसमें प्रथम क्रम पर श्री सुधर्मास्वामी का नाम आता है। इस परम्परा के से संघ के आग्रह से वि.सं. 1924 में वैशाख शुक्ल पञ्चमी के दिन 67 वें क्रम पर आचार्य श्रीमद्विजय प्रमोदसूरि आसीन थे। आपका आपने रत्नविजयजी को आचार्य पद देकर श्री विजय राजेन्द्रसूरिजी जन्म डबोक (मेवाड) में गौड ब्राह्मण परमानन्दजी की भार्या पार्वतीबाई नाम से प्रसिद्ध किया। आपने आहोर में वि.सं. 1934 में चैत्र कृष्णा की कुक्षि से वि.सं. 1850 में गुडी पडवा (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) अमावस्या को देह त्याग किया।69 के दिन हुआ था। आपका जन्म का नाम प्रमोदचन्द्र था। आपने
68. श्रीमद्विजय जयन्तसेनसूरि अभिनन्दन ग्रंथ, श्रीअभिधानराजेन्द्र कोशवि.सं. 1863 में अक्षय तृतीया (वैशाख सुदि 3) के दिन दीक्षाव्रत
द्वितीयावृत्ति अंगीकार किया था। वि.सं. 1893 मे ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी के दिन 69. अ.रा.भा. 7, मुद्रणपरिचय, श्लोक 2 ; संस्कृतप्रशस्ति, श्लोक 1, पृ. आपको आचार्य पद प्रदान किया गया।
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